Allahabad High Court : कार्यालय में प्राप्त सूचना के दिन से माना जाएगा इस्तीफा, समिति की मंजूरी की जरूरत नहीं

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के गुलावठी क्षेत्र पंचायत के दो सदस्यों के इस्तीफे की अधिसूचना को सही मानते हुए क्षेत्र पंचायत प्रमुख की मांग को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम-1961 की धारा 11(2) का हवाला दिया।

 कहा कि इस अधिनियम के तहत क्षेत्र पंचायत सदस्य का इस्तीफा कार्यालय में प्राप्त की गई सूचना के दिन से माना जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने क्षेत्र पंचायत प्रमुख नेहा यादव की याचिका को खारिज करते हुए दिया।

मामले में याची ने क्षेत्र पंचायत के दो सदस्यों के दिए गए इस्तीफे के बाद खाली पदों की घोषित अधिसूचना को चुनौती दी थी। याची की ओर से तर्क दिया गया कि केवल त्यागपत्र प्रस्तुत कर देने से सदस्यों का इस्तीफा नहीं मान लिया जाएगा। जब तक कि क्षेत्र पंचायत की बैठक में इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी जाती है। दोनों क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने अलग-अलग तिथियों को अपना इस्तीफा भेजा था।

इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी ने इस्तीफे की अधिसूचना भी जारी कर दी थी। डीपीआरओ (जिला पंचायत राज अधिकारी) ने अतिरिक्त मुख्य अधिकारी जिला पंचायत को पंचायत सदस्यों के इस्तीफे को स्वीकार करने के उद्देश्य से बैठक बुलाने का पत्र भेजा था। यह प्रस्तुत किया गया कि चूंकि, इस्तीफे अभी स्वीकार नहीं किए गए हैं। इसलिए रिक्ति की अधिसूचना अवैध है।

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कोर्ट ने क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम-1961 की धारा 11(2) के हवाले से अधिसूचना को सही माना और क्षेत्र पंचायत प्रमुख की याचिका को खारिज कर दिया।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के गुलावठी क्षेत्र पंचायत के दो सदस्यों के इस्तीफे की अधिसूचना को सही मानते हुए क्षेत्र पंचायत प्रमुख की मांग को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम-1961 की धारा 11(2) का हवाला दिया।

 कहा कि इस अधिनियम के तहत क्षेत्र पंचायत सदस्य का इस्तीफा कार्यालय में प्राप्त की गई सूचना के दिन से माना जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने क्षेत्र पंचायत प्रमुख नेहा यादव की याचिका को खारिज करते हुए दिया।

मामले में याची ने क्षेत्र पंचायत के दो सदस्यों के दिए गए इस्तीफे के बाद खाली पदों की घोषित अधिसूचना को चुनौती दी थी। याची की ओर से तर्क दिया गया कि केवल त्यागपत्र प्रस्तुत कर देने से सदस्यों का इस्तीफा नहीं मान लिया जाएगा। जब तक कि क्षेत्र पंचायत की बैठक में इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी जाती है। दोनों क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने अलग-अलग तिथियों को अपना इस्तीफा भेजा था।

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