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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 06 Jun 2022 09:47 PM IST
बाहुबली मुख्तार अंसारी को जेल में बाहर का खाना दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि उसके द्वारा दाखिल याचिका पोषणीय है या नहीं। कोर्ट ने सरकार से इस पर जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया है। मामले की सुनवाई नौ जून को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने सरकार की ओर से दाखिल याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए। अधिवक्ता ने कहा कि मुख्तार को जेल में बाहर का खाना जेल मैनुअल के तहत दिया दिया जा रहा है। इसलिए यह पोषणीय ही नहीं है।
इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता से इसकी पोषणीयता पर बल दिया। कहा कि याचिका पोषणीय है, इसीलिए दाखिल की गई। इस पर कोर्ट ने उनको तीन दिन का समय देते हुए इसकी पोषणीयता पर जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए नौ जून की तिथि तय की है।
स्थानीय कोर्ट ने बाहर से खाना उपलब्ध कराने की दी है मंजूरी
गाजीपुर की स्थानीय कोर्ट ने मुख्तार को जेल में बाहर का खाना उपलब्ध कराने की मंजूरी दी है। इस आदेश का यूपी सरकार विरोध कर रही है। मुख्तार अंसारी ने जिला कोर्ट में खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर बाहर का खाना दिए जाने की इजाजत मांगी थी। मुख्तार इस समय बांदा जेल में बंद है। मुख्तार पर कई केस दर्ज हैं। योगी सरकार निशाने पर मुख्तार के खास सहयोगी और गुर्गे भी हैं। एक ओर जहां मुख्तार की करोड़ों की संपत्ति पर लगातार कार्रवाई हो रही है तो दूसरी उनके गुर्गों की प्रॉपर्टी पर भी प्रशासन लगातार बुलडोजर चला रहा है।
विस्तार
बाहुबली मुख्तार अंसारी को जेल में बाहर का खाना दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि उसके द्वारा दाखिल याचिका पोषणीय है या नहीं। कोर्ट ने सरकार से इस पर जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया है। मामले की सुनवाई नौ जून को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने सरकार की ओर से दाखिल याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए। अधिवक्ता ने कहा कि मुख्तार को जेल में बाहर का खाना जेल मैनुअल के तहत दिया दिया जा रहा है। इसलिए यह पोषणीय ही नहीं है।
इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता से इसकी पोषणीयता पर बल दिया। कहा कि याचिका पोषणीय है, इसीलिए दाखिल की गई। इस पर कोर्ट ने उनको तीन दिन का समय देते हुए इसकी पोषणीयता पर जवाब दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए नौ जून की तिथि तय की है।
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