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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रयागराज के एसएससी व नवाबगंज थाने के दरोगा से उनका व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और पूछा कि वे बताएं जब युवक थाने में बंद था तो वह पशु तस्करी कैसे कर सकता है। कोर्ट ने आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया है।
यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट याचिका पर जुलाई के दूसरे सप्ताह में सुनवाई करेगी।
मामले के अनुसार मोहम्मद अशरफ को पुलिस ने 17 मई को गिरफ्तार कर थाने में बंद कर दिया। 19 मई को पुलिस ने पशु तस्करी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया। अशरफ के पिता यूसुफ ने मुख्य न्यायमूर्ति इलाहाबाद हाईकोर्ट को एक मेल भेज कर घटना से अवगत कराया। मुख्य न्यायमूर्ति ने मेल को संबंधित कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया। कोर्ट के आदेश पर एसएसपी व दरोगा बंदी मोहम्मद अशरफ के साथ हाजिर हुए।
कोर्ट ने यह पाया कि जब अशरफ बंद था, तो दो दिन बाद 19 मई को गो तस्करी का अपराधी कैसे हो सकता है। कोर्ट ने अशरफ को रिहा करने का आदेश दिया तथा एसएसपी व दरोगा को निर्देश दिया कि वे अशरफ की गिरफ्तारी को लेकर अपना हलफनामा कोर्ट में पेश करें।
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