Allahabad High Court : न्यायिक सेवा मिशन, याचिकाओं के निस्तारण में लंबा समय लगे तो यह अधूरा

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sun, 29 May 2022 02:05 AM IST

सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हिरासत में रखे गए व्यक्ति के विचाराधीन मामलों का निर्णय जल्द करना न्यायालयों की प्राथमिकता में है और उसमें देरी होना एक बाधा है। मिशन की सफलता तक अदालत के पीठासीन अधिकारी आराम नहीं कर सकते हैं।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के कोतवाली थाने में भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायिक व्यवस्था पर अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा है कि न्यायिक सेवा के साथ कानूनी सेवा एक मिशन है। यह सामान्य सेवाओं से इतर है। वाद के निस्तारण में यदि वादी को लंबा इंतजार करना पड़े या उसका निस्तारण न हो सके तो यह मिशन अधूरा है।

हिरासत में रखे गए व्यक्ति के विचाराधीन मामलों का निर्णय जल्द करना न्यायालयों की प्राथमिकता में है और उसमें देरी होना एक बाधा है। मिशन की सफलता तक अदालत के पीठासीन अधिकारी आराम नहीं कर सकते हैं।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हुसैन सहित कई अन्य मामलों का हवाला देते हुए याचिका के जल्दी निस्तारण के लिए जिला अदालत मथुरा को निर्देशित किया। कोर्ट ने कहा कि वह याची की जमानत अर्जी पर एक सप्ताह में फैसला ले। साथ ही मजिस्ट्रियल परीक्षण को छह महीने में और सत्र परीक्षण दो साल में पूरा करने को कहा। इसके साथ ही याची के खिलाफ 45 दिनों तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी।

यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने लाडली प्रसाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी रेखांकित किया कि उसके द्वारा वाद के निस्तारण के लिए दी गई समय सीमा न्यायिक अधिकारियों के न्यायिक प्रदर्शन के आकलन के लिए एक कसौटी भी हो सकती है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याची की 45 दिनों की दी गई राहत को आगे बढ़ाने पर विचार नहीं किया जाएगा। 
 

मामलों का समय पर निपटारा सरकार की जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को भी सुझाव दिया। कहा कि राज्य की सांविधानिक जिम्मेदारी है कि वह मामलों का समय पर निपटारा सुनिश्चित करने के लिए अधीनस्थ न्यायालयों के कामकाज की निगरानी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा स्थापित करे। 

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यह था मामला
मामला मथुरा के कोतवाली थाने का है। याची के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मजिस्ट्रेटी न्यायालय ने आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए याची के खिलाफ समन जारी कर दिया है। याची ने समन रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष गुहार लगाई थी। इसके साथ ही मामले में मजिस्ट्रेटी न्यायालय को जमानत अर्जी पर जल्दी सुनवाई के लिए निर्देशित किए जाने की मांग भी की थी। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याची के मामलों को समय सीमा के भीतर निस्तारित करने का आदेश दिया।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के कोतवाली थाने में भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज प्राथमिकी के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायिक व्यवस्था पर अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा है कि न्यायिक सेवा के साथ कानूनी सेवा एक मिशन है। यह सामान्य सेवाओं से इतर है। वाद के निस्तारण में यदि वादी को लंबा इंतजार करना पड़े या उसका निस्तारण न हो सके तो यह मिशन अधूरा है।

हिरासत में रखे गए व्यक्ति के विचाराधीन मामलों का निर्णय जल्द करना न्यायालयों की प्राथमिकता में है और उसमें देरी होना एक बाधा है। मिशन की सफलता तक अदालत के पीठासीन अधिकारी आराम नहीं कर सकते हैं।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हुसैन सहित कई अन्य मामलों का हवाला देते हुए याचिका के जल्दी निस्तारण के लिए जिला अदालत मथुरा को निर्देशित किया। कोर्ट ने कहा कि वह याची की जमानत अर्जी पर एक सप्ताह में फैसला ले। साथ ही मजिस्ट्रियल परीक्षण को छह महीने में और सत्र परीक्षण दो साल में पूरा करने को कहा। इसके साथ ही याची के खिलाफ 45 दिनों तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी।

यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने लाडली प्रसाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी रेखांकित किया कि उसके द्वारा वाद के निस्तारण के लिए दी गई समय सीमा न्यायिक अधिकारियों के न्यायिक प्रदर्शन के आकलन के लिए एक कसौटी भी हो सकती है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याची की 45 दिनों की दी गई राहत को आगे बढ़ाने पर विचार नहीं किया जाएगा। 

 

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