Allahabad High Court : बिना ट्रिपलसी ग्राम विकास अधिकारी पद पर नियुक्ति के एकल पीठ के आदेश पर रोक

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

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– फोटो : अमर उजाला

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी भर्ती मामले में एकल पीठ के ट्रिपलसी प्रमाणपत्र को अनिवार्य न मानते हुए चयनित को नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश पर रोक लगा दी है। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की दोनों विशेष अपीलों को सुनवाई के लिए 17 अक्तूबर को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार की तरफ  से दाखिल अपील पर दिया है।

कहा गया कि ग्राम सेवक की अर्हता साइंस कृषि विषय से इंटरमीडिएट रखी गई थी। यही पद नाम ग्राम विकास अधिकारी हो गया है। अर्हता को शासनादेश से उच्चीकृत किया गया है। अब ट्रिपलसी प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार को पद पर नियुक्ति की अर्हता तय करने का अधिकार है। जिस पर कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

एकल पीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए नियुक्ति से इंकार के आदेश को रद्द कर दिया था और दो हफ्ते में याची खुशबू कुमारी गुप्ता को नियुक्ति पत्र जारी करने तथा दुबारा याचिका दायर करने के लिए विवश करने पर सरकार के खिलाफ  दस हजार रुपये हर्जाना लगाया था। याची की पहले दाखिल याचिका पर प्रत्यावेदन तय करने का आदेश हुआ था। सक्षम अधिकारी ने नियुक्ति देने से इंकार कर दिया। जिसे दोबारा चुनौती दी गई तो कोर्ट ने याचिका मंजूर कर नियुक्ति देने का आदेश दिया। जिसे राज्य सरकार ने अपील में चुनौती दी है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी भर्ती मामले में एकल पीठ के ट्रिपलसी प्रमाणपत्र को अनिवार्य न मानते हुए चयनित को नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश पर रोक लगा दी है। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की दोनों विशेष अपीलों को सुनवाई के लिए 17 अक्तूबर को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार की तरफ  से दाखिल अपील पर दिया है।

कहा गया कि ग्राम सेवक की अर्हता साइंस कृषि विषय से इंटरमीडिएट रखी गई थी। यही पद नाम ग्राम विकास अधिकारी हो गया है। अर्हता को शासनादेश से उच्चीकृत किया गया है। अब ट्रिपलसी प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार को पद पर नियुक्ति की अर्हता तय करने का अधिकार है। जिस पर कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

एकल पीठ ने याचिका स्वीकार करते हुए नियुक्ति से इंकार के आदेश को रद्द कर दिया था और दो हफ्ते में याची खुशबू कुमारी गुप्ता को नियुक्ति पत्र जारी करने तथा दुबारा याचिका दायर करने के लिए विवश करने पर सरकार के खिलाफ  दस हजार रुपये हर्जाना लगाया था। याची की पहले दाखिल याचिका पर प्रत्यावेदन तय करने का आदेश हुआ था। सक्षम अधिकारी ने नियुक्ति देने से इंकार कर दिया। जिसे दोबारा चुनौती दी गई तो कोर्ट ने याचिका मंजूर कर नियुक्ति देने का आदेश दिया। जिसे राज्य सरकार ने अपील में चुनौती दी है।



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