Prayagraj News : मुख्तार अंसारी और गणेश दत्त मिश्र। फाइल फोटो – फोटो : social media
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि बैनामा करने के मामले में मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्रा को अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि याची का मामले की सुनवाई की अगली तिथि या पुलिस रिपोर्ट फाइल होने तक गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी ने गणेश दत्त मिश्रा की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट में याची के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने तर्क दिया कि मामला सिविल प्रकृति का है। लेकिन, याची के खिलाफ जिला गाजीपुर के कोतवाली थाने में तीन नवंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराकर फंसाया जा रहा है। जबकि, बैनामा 2009 में कराया गया और रेवेन्यू रिकॉर्ड में विपक्षी वादी मुकदमा कान्ती पांडेय का नाम दर्ज हो गया है। वादी मुकदमा ने इस मामले में आज तक कोई दीवानी वाद दाखिल नहीं किया है। इसलिए मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए। अधिवक्ता ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रणधीर सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी व अन्य केस का हवाला भी दिया।
कोर्ट ने याची के तर्कों को सुनते ही विपक्षी कान्ती पांडेय सहित सभी अन्य प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में कान्ती पांडेय ने याची गणेश दत्त मिश्र के खिलाफ गाजीपुर के कोतवाली थाने में यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई की उन्होंने जिस जमीन को बेचने का सौदा किया मौके पर वह जमीन थी नहीं। बैनामा होने के बाद उसे इसकी जानकारी हुई। उसने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई तो याची उसे धमकाकर पांच लाख रुपये की मांग कर रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि बैनामा करने के मामले में मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्रा को अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि याची का मामले की सुनवाई की अगली तिथि या पुलिस रिपोर्ट फाइल होने तक गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी ने गणेश दत्त मिश्रा की अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट में याची के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने तर्क दिया कि मामला सिविल प्रकृति का है। लेकिन, याची के खिलाफ जिला गाजीपुर के कोतवाली थाने में तीन नवंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराकर फंसाया जा रहा है। जबकि, बैनामा 2009 में कराया गया और रेवेन्यू रिकॉर्ड में विपक्षी वादी मुकदमा कान्ती पांडेय का नाम दर्ज हो गया है। वादी मुकदमा ने इस मामले में आज तक कोई दीवानी वाद दाखिल नहीं किया है। इसलिए मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए। अधिवक्ता ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रणधीर सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी व अन्य केस का हवाला भी दिया।