Allahabad High Court : संविदा पर तैनात शिक्षकों को अध्यापन करते रहने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छत्रपति साहू जी महराज विश्वविद्यालय के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में संविदा पर तैनात शिक्षकों को काम करते रहने का आदेश दिया है। बशर्ते उनकी सेवा संतोषजनक हो और वह सेवानिवृत्त की आयु पूरी न किए हो। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने शिल्पी उत्तम, डॉ. शालिनी वर्मा और डॉ.अर्चना यादव की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। तीनों ने अलग-अलग याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

मामले में छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के अंतर्गत याचियाें को 11 मार्च 2011 को नियुक्ति पत्र जारी किया गया था। उनकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिए संविदा पर की गई। इसके बाद से तीनों शिक्षक बतौर सहायक प्रोफेसर अध्यापन कर रहे हैं। लेकिन, विश्वविद्यालय ने सात अगस्त 2021 और 19 अगस्त 2021 को दो अलग-अलग दिनों में शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला।

इस पर शिक्षकों ने आपत्ति जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर समादेश जारी करने की मांग की। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि विश्वविद्यालय विज्ञापन के जरिए भर्ती कर उनकी सेवाओं को अवैधानिक तौर समाप्त करना चाह रहा है। उन्हें हटाना चाह रहा है जबकि, याचियों की सेवाएं संतोष जनक हैं और वह लगातार अध्यापन कर रहे हैं। कोर्ट ने याचियों के तर्कों को सही मानते हुए शिक्षकों की सेवाओं को बरकार रखने का आदेश दिया। कहा, अगर उनकी सेवाएं संतोषजनक हैं और वह सेवानिवृत्त की आयु पूरी नहीं किए हैं तो उन्हें सेवा में बनाए रखा जाए।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छत्रपति साहू जी महराज विश्वविद्यालय के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में संविदा पर तैनात शिक्षकों को काम करते रहने का आदेश दिया है। बशर्ते उनकी सेवा संतोषजनक हो और वह सेवानिवृत्त की आयु पूरी न किए हो। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने शिल्पी उत्तम, डॉ. शालिनी वर्मा और डॉ.अर्चना यादव की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। तीनों ने अलग-अलग याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

मामले में छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के अंतर्गत याचियाें को 11 मार्च 2011 को नियुक्ति पत्र जारी किया गया था। उनकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिए संविदा पर की गई। इसके बाद से तीनों शिक्षक बतौर सहायक प्रोफेसर अध्यापन कर रहे हैं। लेकिन, विश्वविद्यालय ने सात अगस्त 2021 और 19 अगस्त 2021 को दो अलग-अलग दिनों में शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला।

इस पर शिक्षकों ने आपत्ति जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर समादेश जारी करने की मांग की। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि विश्वविद्यालय विज्ञापन के जरिए भर्ती कर उनकी सेवाओं को अवैधानिक तौर समाप्त करना चाह रहा है। उन्हें हटाना चाह रहा है जबकि, याचियों की सेवाएं संतोष जनक हैं और वह लगातार अध्यापन कर रहे हैं। कोर्ट ने याचियों के तर्कों को सही मानते हुए शिक्षकों की सेवाओं को बरकार रखने का आदेश दिया। कहा, अगर उनकी सेवाएं संतोषजनक हैं और वह सेवानिवृत्त की आयु पूरी नहीं किए हैं तो उन्हें सेवा में बनाए रखा जाए।

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