Allahabad High Court : सीए-एनआरसी का विरोध करने वाले दो अधिवक्ताओं को अग्रिम जमानत

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजनौर के कोतवाली थाने में 2019 में दर्ज प्राथमिकी के मामले में दो अधिवक्ताओं को राहत देते हुए उनकी अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। दोनों पर सीए-एनआरसी का विरोध तथा प्रदर्शन के दौरान वाहनों को नुकसान पहुंचाने, लोक सेवकों पर हमला करने सहित कई आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत 50 हजार के निजी मुचलके और दो प्रतिभूतियों पर मंजूर की है। वाजिद एडवोकेट उर्फ  वाजिद खान तथा एक अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति राज बीर सिंह की पीठ सुनवाई कर रही थी।

68 वर्षीय वाजिद खान बतौर वकील 40 वर्ष से प्रैक्टिस कर रहे हैं। दूसरे आरोपी की उम्र 60 वर्ष है। दोनों पर 250-300 लोगों की भीड़ का नेतृत्व करने का भी आरोप लगाया गया था, जो लाठी, डंडों से लैस थे। भीड़ ने पार्क में खड़े वाहनों को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही लोक सेवकों के साथ भी मारपीट भी की।

कोर्ट के समक्ष याची केअधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि कई सह आरोपियों के बयान के आधार पर दो दिसंबर 2019 की घटना के बारे में प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें उन्हें पहले ही जमानत दे दी गई है लेकिन उसके बाद दोनों को धारा 147, 148, 149, 323, 336, 188, 427, 120बी, 153ए, 295ए, 109 आईपीसी सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा तीन के तहत झूठा फंसाया गया। वहीं पांच अन्य मामलों में याचियों को फंसाया गया है जबकि, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को देखते हुए याची अधिवक्ताओं की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजनौर के कोतवाली थाने में 2019 में दर्ज प्राथमिकी के मामले में दो अधिवक्ताओं को राहत देते हुए उनकी अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। दोनों पर सीए-एनआरसी का विरोध तथा प्रदर्शन के दौरान वाहनों को नुकसान पहुंचाने, लोक सेवकों पर हमला करने सहित कई आरोप लगाए गए थे। कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत 50 हजार के निजी मुचलके और दो प्रतिभूतियों पर मंजूर की है। वाजिद एडवोकेट उर्फ  वाजिद खान तथा एक अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति राज बीर सिंह की पीठ सुनवाई कर रही थी।

68 वर्षीय वाजिद खान बतौर वकील 40 वर्ष से प्रैक्टिस कर रहे हैं। दूसरे आरोपी की उम्र 60 वर्ष है। दोनों पर 250-300 लोगों की भीड़ का नेतृत्व करने का भी आरोप लगाया गया था, जो लाठी, डंडों से लैस थे। भीड़ ने पार्क में खड़े वाहनों को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही लोक सेवकों के साथ भी मारपीट भी की।

कोर्ट के समक्ष याची केअधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि कई सह आरोपियों के बयान के आधार पर दो दिसंबर 2019 की घटना के बारे में प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें उन्हें पहले ही जमानत दे दी गई है लेकिन उसके बाद दोनों को धारा 147, 148, 149, 323, 336, 188, 427, 120बी, 153ए, 295ए, 109 आईपीसी सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा तीन के तहत झूठा फंसाया गया। वहीं पांच अन्य मामलों में याचियों को फंसाया गया है जबकि, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को देखते हुए याची अधिवक्ताओं की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली।

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