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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 09 Mar 2022 08:34 PM IST
सार
हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कानून का उल्लंघन करके जबरन बैनामा कराने के आरोप में चल रहे 27 आपराधिक केसों व चार्जशीट की वैधता को चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि अजीमनगर थाने में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के खिलाफ पुलिस क्षेत्राधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है। इन बैनामों से याची का कोई सरोकार नहीं है।
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विस्तार
कोर्ट ने याची को इसका तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। याचिका की अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने अदीब आजम की याचिका पर दिया है।
हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कानून का उल्लंघन करके जबरन बैनामा कराने के आरोप में चल रहे 27 आपराधिक केसों व चार्जशीट की वैधता को चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि अजीमनगर थाने में पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के खिलाफ पुलिस क्षेत्राधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है। इन बैनामों से याची का कोई सरोकार नहीं है।
ट्रस्ट का रजिस्ट्रार होने के कारण उसे फंसाया गया है। निचली अदालत ने पुलिस चार्जशीट पर बिना विवेक का इस्तेमाल किए संज्ञान लिया है। मुख्य आरोप आजम खां व आले हसन पर लगाया गया है। याची का नाम एफ आई आर में नहीं है।
उसने न कोई बैनामा कराया और न ही किसी को धमकी दी है। सरकार का कहना है कि ट्रस्ट के नाम जमीन का बैनामा कराया गया है। याची रजिस्ट्रार है उसकी कोई भूमिका नहीं है।
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