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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 23 Jun 2022 02:06 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के बीबीनगर थानांतर्गत धकोली गांव में भाई की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे व्यक्ति (याची) की सजा को कम करते हुए उसकी रिहाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह लगता है कि याची ने अपने भाई को चोट पहुंचाने के इरादे से हमला किया था, न की उसकी हत्या करने के लिए।
कोर्ट ने याची के अपराध को आईपीसी की धारा 302 के बजाय 304 के तहत माना। कहा कि याची को किसी अन्य मामले में हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है तो उसे तुरंत रिहा कर दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति साधना रानी (ठाकुर) की खंडपीठ ने मनोज कुमार शर्मा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।
मामले में याची के खिलाफ उसकेभाई विकास शर्मा ने 2009 में आईपीसी की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज कराकर भाई राजीव कुमार शर्मा की हत्या का आरोप लगाया। मामले में सत्र न्यायालय बुलंदशहर ने याची को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। याची ने सत्र न्यायालय केफैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद पाया कि याची का इरादा अपने भाई राजीव कुमार की हत्या करने का नहीं था। उसका इरादा केवल शारीरिक चोट पहुंचाने का था।
दोनों भाइयों में खेत की सिंचाई पहले करने को लेकर झगड़े का जुनून सवार हो गया, जो कि बिना किसी पूर्व नियोजन से हुआ था। याची ने उस पर फायर कर दिया। घटना के पछतावे के कारण याची ने अपनी पत्नी केमाध्यम से दूसरे भाई को जानकारी देकर उसकी जान बचाने का भी प्रयास किया। कोर्ट ने कहा कि याची 12 साल से अधिक समय से जेल में है। अत: उसने अपने किए गए अपराध के तहत सजा भुगत ली है। लिहाजा, अन्य किसी मामले में वह हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है तो उसे तुरंत रिहा कर दिया जाए।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के बीबीनगर थानांतर्गत धकोली गांव में भाई की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे व्यक्ति (याची) की सजा को कम करते हुए उसकी रिहाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह लगता है कि याची ने अपने भाई को चोट पहुंचाने के इरादे से हमला किया था, न की उसकी हत्या करने के लिए।
कोर्ट ने याची के अपराध को आईपीसी की धारा 302 के बजाय 304 के तहत माना। कहा कि याची को किसी अन्य मामले में हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है तो उसे तुरंत रिहा कर दिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति साधना रानी (ठाकुर) की खंडपीठ ने मनोज कुमार शर्मा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।
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