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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Tue, 15 Feb 2022 09:19 PM IST
सार
याची का बिल पहले लगभग 31.47 लाख रुपये था, जिसे घटा कर 2.45 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। एमडी ने कार्रवाई से संबंधित रिकॉर्ड भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया।
उपभोक्ता का मनमाने तरीके से बिजली का बिल बढ़ाए जाने के मामले में मंगलवार को पेश हुए पश्चिमांचल विद्युत वितरण के प्रबंध निदेशक (एमडी) ने गलती स्वीकार की। एमडी ने कोर्ट के समक्ष अपना और चेयरमैन की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए बताया कि याची का बिल संशोधित कर दिया गया है।
याची का बिल पहले लगभग 31.47 लाख रुपये था, जिसे घटा कर 2.45 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। एमडी ने कार्रवाई से संबंधित रिकॉर्ड भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया।
इसके पहले मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव पॉवर एंड एनर्जी के पेश न होने की जानकारी मांगी। इस पर पॉवर कॉरपोरेशन के अधिवक्ता बालेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष पेशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा है।
इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश की कॉपी मांगी, लेकिन विपक्षी पक्ष आदेश की कॉपी नहीं प्रस्तुत कर सका। कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तिथि तय करते हुए आदेश की प्रति को कोर्ट के समक्ष देने को कहा है। इसके साथ ही मामले में याची से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
यह था मामला
रामपुर के पुत्तन की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि है कि विद्युत कनेक्शन काट दिए जाने के बावजूद उसका बिल लगातार बढ़ता रहा। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की ओर से उसे 31 लाख, 47 हजार, 773 रुपये बकाए बिल का नोटिस भेज दिया गया। याची ने इसी नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने मामले में पहले अधिशासी अभियंता को रिकॉर्ड के साथ तलब किया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अधिशासी अभियंता को जिम्मेदार ठहराया था।
विस्तार
उपभोक्ता का मनमाने तरीके से बिजली का बिल बढ़ाए जाने के मामले में मंगलवार को पेश हुए पश्चिमांचल विद्युत वितरण के प्रबंध निदेशक (एमडी) ने गलती स्वीकार की। एमडी ने कोर्ट के समक्ष अपना और चेयरमैन की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए बताया कि याची का बिल संशोधित कर दिया गया है।
याची का बिल पहले लगभग 31.47 लाख रुपये था, जिसे घटा कर 2.45 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके साथ जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। एमडी ने कार्रवाई से संबंधित रिकॉर्ड भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया।
इसके पहले मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव पॉवर एंड एनर्जी के पेश न होने की जानकारी मांगी। इस पर पॉवर कॉरपोरेशन के अधिवक्ता बालेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष पेशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा है।
इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश की कॉपी मांगी, लेकिन विपक्षी पक्ष आदेश की कॉपी नहीं प्रस्तुत कर सका। कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तिथि तय करते हुए आदेश की प्रति को कोर्ट के समक्ष देने को कहा है। इसके साथ ही मामले में याची से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
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