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सार
कोर्ट ने हाथरस के पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश से मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने अधिवक्ताओं की संभावित हड़ताल का संज्ञान लेते हुए तलाक के मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रेमराज प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों को अधिवक्ताओं की हड़ताल का संज्ञान लेकर वादों की सुनवाई टालना सही नहीं है। अदालतों को अपना काम करना चाहिए। न कि वकीलों की हड़ताल या संभावित हड़ताल का संज्ञान लेकर वादों का देना चाहिए।
कोर्ट ने हाथरस के पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश से मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने अधिवक्ताओं की संभावित हड़ताल का संज्ञान लेते हुए तलाक के मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रेमराज प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने मामले में पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा मामले के स्थगन को प्रथम दृष्टया कदाचार की श्रेणी माना। याची प्रेमराज प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक याचिका दाखिल की है। याची की ओर से कहा गया कि पारिवारिक अदालत हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 पर निर्णय लेने में देरी कर रही है।
मामले में अदालत की ओर से 15 अप्रैल 2022 को दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के माध्यम से विवाद को हल कराने का प्रयास किया था। लेकिन, समझौता न होने पर कोर्ट ने अदालत को मामले की सुनवाई आगे बढ़ाने के लिए कहा था। कोर्ट ने 23 मई को प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं की संभावित हड़ताल को देखते हुए मामले की सुनवाई को आठ जुलाई 2022 तक केलिए स्थगित कर दिया था। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा कि प्रधान न्यायाधीश को अदालत को स्पष्टीकरण देना है कि उसने हड़ताल के कारण मामले को स्थगित क्यों किया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 27 मई की तिथि तय की है।
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