Allahabad highcourt: ओबीसी अभ्यर्थी की करनी होगी नियुक्ति, विशेष अपील खारिज

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दो निवास प्रमाण पत्र देने पर असफल घोषित किए गए ओबीसी अभ्यर्थी की नियुक्ति पर विचार करने के हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड की स्पेशल अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने खारिज कर दी।

सिपाही भर्ती 2015 के ओबीसी अभ्यर्थी इमरान खान को नियुक्ति देने के एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की विशेष अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ कर रही थी।

राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से एकल पीठ के आदेश पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया था कि याची इमरान खान ने दस्तावेजों के परीक्षण के समय विज्ञापन में निर्धारित तिथि का निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया था। इसलिए इमरान खान को ओबीसी नहीं माना गया और उसे प्राप्तांक सामान्य श्रेणी की कट ऑफ  से कम होने के कारण असफल घोषित किया गया था।

जबकि अभ्यर्थी इमरान खान का कहना था कि विज्ञापन में निवास प्रमाण पत्र के लिए कोई भी तिथि और प्रारूप निर्धारित नहीं किया गया था। अभ्यर्थी ने दस्तावेजों की संवीक्षा के समय निर्धारित तिथि के जाति प्रमाण पत्र के साथ वर्ष 2013 और 2016 के दो निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे। कोर्ट  ने एकल पीठ द्वारा अभ्यर्थी की नियुक्ति पर विचार करने के आदेश को सही व विधि सम्मत मानते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी।

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दो निवास प्रमाण पत्र देने पर असफल घोषित किए गए ओबीसी अभ्यर्थी की नियुक्ति पर विचार करने के हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड की स्पेशल अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने खारिज कर दी।

सिपाही भर्ती 2015 के ओबीसी अभ्यर्थी इमरान खान को नियुक्ति देने के एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की विशेष अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ कर रही थी।

राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से एकल पीठ के आदेश पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया था कि याची इमरान खान ने दस्तावेजों के परीक्षण के समय विज्ञापन में निर्धारित तिथि का निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया था। इसलिए इमरान खान को ओबीसी नहीं माना गया और उसे प्राप्तांक सामान्य श्रेणी की कट ऑफ  से कम होने के कारण असफल घोषित किया गया था।

जबकि अभ्यर्थी इमरान खान का कहना था कि विज्ञापन में निवास प्रमाण पत्र के लिए कोई भी तिथि और प्रारूप निर्धारित नहीं किया गया था। अभ्यर्थी ने दस्तावेजों की संवीक्षा के समय निर्धारित तिथि के जाति प्रमाण पत्र के साथ वर्ष 2013 और 2016 के दो निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे। कोर्ट  ने एकल पीठ द्वारा अभ्यर्थी की नियुक्ति पर विचार करने के आदेश को सही व विधि सम्मत मानते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी।

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