वाराणसी के धर्मसंघ स्थित मणि मंदिर में इस बार अन्नकूट का महोत्सव बेहद अनोखा होगा। अन्नकूट महोत्सव में पहली बार घर की रसोई में बने भोग से द्वादश ज्योतिर्लिंग स्वरूप का अन्नकूट भोग सजाया जाएगा। श्रद्धालुओं के घर की रसोई से तैयार व्यंजनों से ही माता का अन्नकूट श्रृंगार किया जाएगा। धर्मसम्राट करपात्री जी की कर्मस्थली में निर्मित मणिमंदिर में विराजमान स्वर्णमयी मां त्रिपुरसुंदरी राजराजेश्वरी अपने भक्तों को वैभव व ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करेंगी।
काशी में पहली बार घर की रसोई में बने भोग से श्रद्धालुओं को द्वादश ज्योतिर्लिंगों के स्वरूप का अन्नकूट भोग लगाने का अवसर मिलेगा। दुर्गाकुंड धर्मसंघ शिक्षा मंडल में स्थित मणिमंदिर में इसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। महोत्सव में 56 प्रकार के मिष्ठान्न, मेवों, फलों व व्यंजनों के साथ 51 मन के लड्डूओं से बना शिवालय विशेष आर्कषण का केंद्र रहेगा।
धर्मसंघ के महामंत्री जगजीतन पांडेय ने बताया अन्नकूट महापर्व लोकहित का पर्व है। वर्तमान समय में अन्नकूट का पर्व सिर्फ मंदिरों के धार्मिक आयोजन तक ही सीमित रह गया है। ऐसे में अन्नकूट के विषय में नई पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी द्वारा स्थापित धर्मसंघ शिक्षा मंडल के मणिमंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंगों के स्वरूप का अन्नकूट काशीवासीयों के घर की रसोई में बने भोग से सजाया जाएगा।
महामंत्री ने बताया अन्नकूट में भोग लगाने के लिए श्रद्धालु अपने घर की रसोई में बने सूखे व्यंजनों का भोग बनाकर थाली में सजाकर 26 अक्तूबर को अन्नकूट पर सुबह 9 बजे से 12 बजे तक मणिमंदिर में जमा कर सकेंगे। घर की रसोई का भोग मंदिर के अन्नकूट प्रसाद के साथ 27 अक्तूबर को श्रद्धालुओं को वापस कर दिया जाएगा। भोग की थाली मंदिर में जमा करते समय ही टोकन दिया जाएगा।
मां राजराजेश्वरी की स्वर्णमयी प्रतिमा के भी दर्शन श्रद्धालुओं को मिलेंगे। रामदरबार में स्थित मां राजराजेश्वरी की स्वर्णमयी प्रतिमा विराजमान है। अन्नकूट पर माता के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन आम भक्तों के लिए सुलभ होंगे।
आम दिनों में भी भक्त माता के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मां राजराजेश्वरी धन, वैभव, योग और मोक्ष की देवी कही जाती हैं।