Ayush College: आयुष कॉलेजों में हेराफेरी से एडमिशन पाने वाले सभी छात्र निलंबित, दस्तावेज सील

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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– फोटो : Social Media

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प्रदेश के आयुष कॉलेजों में हेराफेरी मामले में अफसरों के बाद अब छात्रों पर कार्रवाई होने लगी है। हेराफेरी से दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। इन सभी के सभी दस्तावेज सील कर दिए गए हैं। जांच के बाद उनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसे में आयुष कॉलेजों में हलचल मची हुई है। 

प्रदेश में सरकारी और निजी कॉलेजों को मिलाकर 7338 सीट हैं। इस बार 6797 सीट पर दाखिला हुआ। आयुर्वेद विभाग की जांच में प्रदेश में आयुष कॉलेजों में 891 छात्रों के हेराफेरी से दाखिला लेने की बात सामने आई है। इसमें 53 सरकारी और 838 निजी कॉलेजों के हैं। इन छात्रों में सरकारी और निजी मिलाकर आयुर्वेद (बीएएमएस) के 516, होम्योपैथ (बीएचएमएस) के आठ और यूनानी (बीयूएमएस) के 367 छात्र हैं। इन सभी छात्रों के बारे में आयुर्वेद निदेशालय से कॉलेजों को रिपोर्ट भेजी गई थी।

रिपोर्ट मिलने के बाद लखनऊ के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के छह छात्रों को एक नवंबर को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद पीलीभीत, बरेली सहित अन्य सरकारी कॉलेजों से भी इन छात्रों को निलंबित किया गया, लेकिन सोमवार को  सीबीआई जांच की संस्तुति और निदेशक के निलंबित किए जाने के बाद सभी कॉलेजों ने अपने यहां भेजी गई नोटिस में दिए गए नाम वाले छात्रों को निलंबित कर दिया है। इनके सभी दस्तावेज कॉलेज में ही सील कर दिए गए हैं। इनकी निगरानी के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। ज्यादातर कॉलेजों ने छात्रों को निलंबित किए जाने की रिपोर्ट विभाग में भेज दी है। सभी ने कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर भी संबंधित छात्रों को निलंबित करने संबंधी सूचना लगा दी है।

हो सकती है बर्खास्तगी की कार्रवाई
हेराफेरी में नाम आने वाले छात्रों की नए सिरे से भी जांच होने की संभावना है। क्योंकि अभी तक की रिपोर्ट निदेशक प्रो एसएन सिंह की टीम ने की थी। अब वह निलंबित किए जा चुके हैं। ऐसे में इन छात्रों की नए सिरे से जांच कर वस्तु स्थिति परखी जाएगी। हर जांच में दोषी पाए जाने वाले छात्रों को बर्खास्त किया जा सकता है। आयुष मंत्री डा. दयाशंकर मिश्र दयालु ने बताया कि जांच कमेटियां जुट गई हैं। जांच रिपोर्ट केआधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिन छात्रों का मामला सही पाएगा उनकी कॉलेज से बर्खास्तगी करते हुए रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी, लेकिन जब तक जांच में वे दोषी नहीं पाए जाते, तब तक उनकेखिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। जांच के जरिए इस पूरे खेल को करने वालों तक पहुंचा जाएगा। उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी क ार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में किसी छात्र का कॅरियर प्रभावित न हो।

ज्यादातर छात्र कॉलेज से बाहर
विभिन्न कॉलेजों से जानकारी ली गई तो पता चला कि त्योहार का सीजन होने की वजह से ज्यादातर छात्र कॉलेज से बाहर हैं। कुछ छात्र हॉस्टल में थे, लेकिन मामले केतूल पकड़ने के बाद वे घर चले गए हैं। निजी कॉलेजों में रहने वाले छात्रों को भी उनके परिजन घर बुला लिए हैं।

पहली बार हुई कार्रवाई
प्रदेश में हेराफेरी केमामले में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में छात्रों का नाम सामने आया है। इससे छात्रों और कॉलेज संचालकों केबीच हड़कंप मचा हुआ है। कॉलेजों के प्रधानाचार्य भी एक-दूसरे से टोह ले रहे हैं। एक प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके यहां संदिग्ध छात्रों का नाम सामने आने के बाद पूरी व्यवस्था सी ठप हो गई है। लोग इस बात से सशंकित हैं कि सीबीआई जांच के बाद कितने लोगों को गाज गिरेगी।

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विस्तार

प्रदेश के आयुष कॉलेजों में हेराफेरी मामले में अफसरों के बाद अब छात्रों पर कार्रवाई होने लगी है। हेराफेरी से दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। इन सभी के सभी दस्तावेज सील कर दिए गए हैं। जांच के बाद उनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसे में आयुष कॉलेजों में हलचल मची हुई है। 

प्रदेश में सरकारी और निजी कॉलेजों को मिलाकर 7338 सीट हैं। इस बार 6797 सीट पर दाखिला हुआ। आयुर्वेद विभाग की जांच में प्रदेश में आयुष कॉलेजों में 891 छात्रों के हेराफेरी से दाखिला लेने की बात सामने आई है। इसमें 53 सरकारी और 838 निजी कॉलेजों के हैं। इन छात्रों में सरकारी और निजी मिलाकर आयुर्वेद (बीएएमएस) के 516, होम्योपैथ (बीएचएमएस) के आठ और यूनानी (बीयूएमएस) के 367 छात्र हैं। इन सभी छात्रों के बारे में आयुर्वेद निदेशालय से कॉलेजों को रिपोर्ट भेजी गई थी।

रिपोर्ट मिलने के बाद लखनऊ के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के छह छात्रों को एक नवंबर को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद पीलीभीत, बरेली सहित अन्य सरकारी कॉलेजों से भी इन छात्रों को निलंबित किया गया, लेकिन सोमवार को  सीबीआई जांच की संस्तुति और निदेशक के निलंबित किए जाने के बाद सभी कॉलेजों ने अपने यहां भेजी गई नोटिस में दिए गए नाम वाले छात्रों को निलंबित कर दिया है। इनके सभी दस्तावेज कॉलेज में ही सील कर दिए गए हैं। इनकी निगरानी के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। ज्यादातर कॉलेजों ने छात्रों को निलंबित किए जाने की रिपोर्ट विभाग में भेज दी है। सभी ने कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर भी संबंधित छात्रों को निलंबित करने संबंधी सूचना लगा दी है।

हो सकती है बर्खास्तगी की कार्रवाई

हेराफेरी में नाम आने वाले छात्रों की नए सिरे से भी जांच होने की संभावना है। क्योंकि अभी तक की रिपोर्ट निदेशक प्रो एसएन सिंह की टीम ने की थी। अब वह निलंबित किए जा चुके हैं। ऐसे में इन छात्रों की नए सिरे से जांच कर वस्तु स्थिति परखी जाएगी। हर जांच में दोषी पाए जाने वाले छात्रों को बर्खास्त किया जा सकता है। आयुष मंत्री डा. दयाशंकर मिश्र दयालु ने बताया कि जांच कमेटियां जुट गई हैं। जांच रिपोर्ट केआधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिन छात्रों का मामला सही पाएगा उनकी कॉलेज से बर्खास्तगी करते हुए रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी, लेकिन जब तक जांच में वे दोषी नहीं पाए जाते, तब तक उनकेखिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। जांच के जरिए इस पूरे खेल को करने वालों तक पहुंचा जाएगा। उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी क ार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में किसी छात्र का कॅरियर प्रभावित न हो।

ज्यादातर छात्र कॉलेज से बाहर

विभिन्न कॉलेजों से जानकारी ली गई तो पता चला कि त्योहार का सीजन होने की वजह से ज्यादातर छात्र कॉलेज से बाहर हैं। कुछ छात्र हॉस्टल में थे, लेकिन मामले केतूल पकड़ने के बाद वे घर चले गए हैं। निजी कॉलेजों में रहने वाले छात्रों को भी उनके परिजन घर बुला लिए हैं।

पहली बार हुई कार्रवाई

प्रदेश में हेराफेरी केमामले में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में छात्रों का नाम सामने आया है। इससे छात्रों और कॉलेज संचालकों केबीच हड़कंप मचा हुआ है। कॉलेजों के प्रधानाचार्य भी एक-दूसरे से टोह ले रहे हैं। एक प्रधानाचार्य ने बताया कि उनके यहां संदिग्ध छात्रों का नाम सामने आने के बाद पूरी व्यवस्था सी ठप हो गई है। लोग इस बात से सशंकित हैं कि सीबीआई जांच के बाद कितने लोगों को गाज गिरेगी।



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