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रुड़की के भोलू पहलवान का कहना था कि मंडी में देसी बकरों की भी खासी खरीद की गई है। यह सस्ता पड़ता है। जालौन के पशु व्यापारी इस्लाम का कहना था कि बरबरा नस्ल के बकरों को लोग ज्यादा पसंद किया। वह 10 बकरे लेकर आए थे। सभी बिक गए। इसी तरह एत्मादपुर के आसिफ का बरबरा नस्ल का बकरा भी एक लाख रुपये में बेचा गया।
रविवार शाम को हींग की मंडी में बकरों की मंडी लगाई गई। इसमें भी 500 से ज्यादा बकरे बिक्री के लिए आए। ढोलीखार, मंटोला, नाई की मंडी, गुलाबखाना, हींग की मंडी, महावीर नाला समेत आसपास के लोग बकरों की खरीदारी करने पहुंचे।
बकरे इस बार ज्यादा महंगे
हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी ने बताया कि बकरे इस दफा ज्यादा महंगे हैं। 25 हजार से कम का अच्छा बकरा नहीं है। हींग की मंडी में 25 हजार से एक लाख रुपये तक के बकरे खरीदे गए।
बरबरा व महावन के बकरों की मांग
लिमरा गोट फार्म के शफीक खान ने बताया कि इस बार बरबरा व महावन (मथुरा) के सफेद बकरों की डिमांड ज्यादा है।
इन स्थानों से आए व्यापारी
रुड़की, जालौन, इटावा, औरेया, एत्मादपुर, बाह, पिनाहट, भरतपुर, धौलपुर, तांतपुर, उरई, किरावली, जलेसर, एटा समेत आसपास के जिलों के व्यापारी पहुंचे थे।
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