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मथुरा के वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में हादसे के एक सप्ताह बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं। मंदिर में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ और उसे नियंत्रण करने की व्यवस्थाओं को देखकर लगता है कि पुलिस-प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। शनिवार को अमावस्या पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में हुई भीड़ में अफरातफरी और बदइंतजामी दिखाई दी। मंदिर से लेकर गलियों में श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। भीड़ के दबाव में श्रद्धालु पुलिस और प्रशासन को कोसते दिखे।
शनिवार की सुबह 7:45 पर दर्शन खुलने से आधा घंटे पहले मंदिर के बाहर गेट नंबर दो और तीन पर हजारों भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए पहुंच गई थी। जैसे ही पट खुले जन सैलाब मंदिर में प्रवेश कर गया। भीड़ का दबाव देख मंदिर के सुरक्षा में तैनात कर्मचारी और गार्ड हादसे की आशंका से घबरा गए। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए बांकेबिहारी मंदिर के गेट नंबर चार और पांच की तरफ जाने वाली गली में की गई बैरिकेडिंग का भी कोई प्रभाव नहीं दिखा। यही हालात शाम को रहे।
कोई ठोस रणनीति नहीं
शनिवार को हजारों श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़े जा रहे थे। न कहीं उन्हें रोककर मंदिर में प्रवेश देने की व्यवस्था थी और न भीड़ के दबाव को कम करने के उपाय। सुबह करीब 11 बजे मंगला आरती के समय तो हालात बिगड़ते नजर आए। मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि प्रशासन ने मंदिर में आने वाली भीड़ को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है।
नाकों पर पुलिस तैनात कर अपनी जिम्मेदारी निभाई
बांकेबिहारी मंदिर की व्यवस्थाओं में प्रशासन ने एक ही योजना पर काम किया। निकास और प्रवेश मार्गों पर पुलिस का पहरा बैठाया गया है। प्रवेश और निकास मार्ग पर पुलिस दिखी। गलियों में रहने वाले मंदिर सेवायत, मंदिर के कर्मचारियों और दुकानदारों को परेशानी झेलनी पड़ी।
बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत गुंजन गोस्वामी राधा सनेह बिहारी मंदिर की गली से अपने घर के लिए जा रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें रोक लिया। आधार कार्ड दिखाने के काफी देर बाद उन्हें जाने दिया गया। बता दें कि जन्माष्टमी पर रात करीब 1.45 बजे मंगला आरती के दौरान ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ के दबाव के कारण हादसा हो गया था। मंदिर में भगदड़ मचने से दो श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। कई घायल हुए थे।
विस्तार
मथुरा के वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में हादसे के एक सप्ताह बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं। मंदिर में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ और उसे नियंत्रण करने की व्यवस्थाओं को देखकर लगता है कि पुलिस-प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। शनिवार को अमावस्या पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में हुई भीड़ में अफरातफरी और बदइंतजामी दिखाई दी। मंदिर से लेकर गलियों में श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। भीड़ के दबाव में श्रद्धालु पुलिस और प्रशासन को कोसते दिखे।
शनिवार की सुबह 7:45 पर दर्शन खुलने से आधा घंटे पहले मंदिर के बाहर गेट नंबर दो और तीन पर हजारों भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए पहुंच गई थी। जैसे ही पट खुले जन सैलाब मंदिर में प्रवेश कर गया। भीड़ का दबाव देख मंदिर के सुरक्षा में तैनात कर्मचारी और गार्ड हादसे की आशंका से घबरा गए। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए बांकेबिहारी मंदिर के गेट नंबर चार और पांच की तरफ जाने वाली गली में की गई बैरिकेडिंग का भी कोई प्रभाव नहीं दिखा। यही हालात शाम को रहे।
कोई ठोस रणनीति नहीं
शनिवार को हजारों श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़े जा रहे थे। न कहीं उन्हें रोककर मंदिर में प्रवेश देने की व्यवस्था थी और न भीड़ के दबाव को कम करने के उपाय। सुबह करीब 11 बजे मंगला आरती के समय तो हालात बिगड़ते नजर आए। मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि प्रशासन ने मंदिर में आने वाली भीड़ को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है।
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