देहरादून। उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के सिंहद्वार में पिछले सालों में आई हल्की दरारों की मरम्मत का कार्य चल रहा है। इस बीच बद्रीनाथ धाम में फिर से आई नई दरारों को लेकर झूठी और गलत खबरें सामने आई थी, जिसका खंडन खुद श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने किया है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की मानें तो बद्रीनाथ मंदिर के सिंह द्वार में दरारें नहीं बढ़ी हैं। यहां लगाए गये क्रेकोमीटर पर दरार में कोई फैलाव नहीं आया है। साथ ही जो दरार देखी गई थी, उसका रिपेयरिंग करवा लिया गया है। एएसआई की मानें तो फिलहाल मंदिर को खतरा नहीं है।
सिंहद्वार का निर्माण 17वीं सदी में बद्रीनाथ मंदिर के मौजूदा परिसर के साथ ही हुआ था। सिंहद्वार में पहले से आई हल्की दरारों का मरम्मत कार्य चल रहा है। एएसआई की मानें तो फिलहाल मंदिर को खतरा नहीं है।
बीकेटीसी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा बद्रीनाथ मंदिर के सिंहद्वार में पहले से आई हल्की दरारों का मरम्मत कार्य चल रहा है। इस समय कोई भी नई दरार नहीं दिखी है। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने वर्ष 2022 में शासन को पत्र लिखकर बद्रीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर आई हल्की दरारों के विषय में अवगत कराया था। इसके बाद शासन ने एएसआई को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा। इस क्रम में जुलाई 2022 में एएसआई ने मरम्मत की कार्य योजना तैयार की थी। अक्टूबर 2022 को एएसआई ने सिंहद्वार की दरारों पर ग्लास टायल्स (शीशे की स्केलनुमा पत्तियां) फिक्स कर दी थीं, जिससे यह पता लग सके की दरारें कितनी चौड़ी हुई हैं।
9 अगस्त, 2023 को ग्लास टायल्स के अध्ययन के बाद एएसआई ने ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया था। तब दरारों में कोई खास बदलाव नहीं आंका गया। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि सिंह द्वार के ट्रीटमेंट कार्य के अंतर्गत पहले चरण में सिंहद्वार के दायीं ओर ट्रीटमेंट कार्य किया जा चुका है। अब बाईं ओर की दरारों पर ट्रीटमेंट प्रस्तावित है। इस तरह स्पष्ट है कि सिंहद्वार पर दरारें बहुत पहले से हैं, जिसका ट्रीटमेंट कार्य किया जा रहा है।