अक्षत टाइम्स संवाददाता, लखनऊ, 10 मई। यदि किसी को अक्सर जोड़ों में दर्द और जकड़न, त्वचा पर चकत्ते, विशेषकर नाक और गालों पर तितली के आकार के चकत्ते और थकान का अनुभव होता है, तो इसे नजरंदाज करने के बजाय डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यह लक्षण ल्यूपस के हो सकते हैं। समय से बीमारी की जानकारी होने पर इसे दवाओं से काबू किया जा सकता है।
ये जानकारी केजीएमयू के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी एंड रूमेटलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत कुमार ने दी। वह विश्व ल्यूपस दिवस के अवसर पर शुक्रवार को केजीएमयू में आयोजित हुए जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वैसे तो ल्यूपस एक बहुत आम रोग नहीं है, लेकिन मरीज के महत्वपूर्ण अंगों पर इसके गंभीर प्रभाव होने से इसे वर्तमान में एक चुनौतीपूर्ण बीमारी माना जाता।
इस मौके पर एमबीबीएस छात्रों को जागरूक करने के लिए पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता का आयोजन डॉ. मुकेश एवं डॉ. लिली द्वारा किया गया। प्रतियोगिता में एमबीबीएस छात्र डॉ. देवेश और डॉ. गौरी को प्रथम स्थान मिला।। जबकि डॉ. अनन्या और डॉ. अवंतिका द्वितीय और डॉ. अनुपमा एवं डॉ. मुकुल को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।
पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक हो रही प्रभावित
एसोसिएट प्रो.मुकेश मौर्य ने बताया कि ल्यूपस एक जटिल ऑटोइम्यून बीमारी है जो हृदय, गुर्दे, फेफड़े, रक्त, जोड़ों और त्वचा सहित शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन पैदा कर सकती है। ल्यूपस की बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। इसमें भी गर्भवतियों की संख्या अधिक है। रिकॉर्ड के मुताबिक यह बीमारी 15 से 44 वर्ष तक के उम्र की महिलाओं को अधिक होती है। विश्व मे प्रति 9 महिलाओं में से एक पुरुष का आंकड़ा है, वहीं देश में यह आंकड़ा 18 महिलाओं में से 2 पुरुषों का है। इनमें से भी गर्भवती महिलाएं करीब 90 फीसदी हैं।
कोविड के बाद बढ़े मरीज
डॉ. मुकेश के मुताबिक कोविड के बाद लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी आई है।इससे ल्यूपस के मरीज भी बढ़े हैं। लोगों में इस बीमारी के प्रति अभी भी जागरूकता की कमी है। प्रदेश में इस बीमारी का इलाज सिर्फ एसजीपीजीआई और केजीएमयू में है।डॉ. मुकेश मौर्य ने ल्यूपस के मरीजों को धूप से बचने की सलाह दी। उन्होंने बताया ज्यादा जरूरी होने पर धूप में निकलने से पहले क्रीम एसपीएफ-30 को 30 मिनट पहले लगाएं। चार घंटे से अधिक समय तक धूप में न रहें। इस अवसर पर डॉ. कीर्ति, डॉ. प्रसन्ना, डॉ. अभिलाष, डॉ. निशांत, डॉ. अंकुश, डॉ. किशन, डॉ. निधिश, डॉ. पराग, डॉ. संजय, डॉ. अंजुम,डॉ. दर्पण और डॉ. आकृति मौजुद रहें।
क्या है ल्यूपस की बीमारी
ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के सेल्स और टिश्यूज को नुकसान करने का काम करती है। जिसके चलते ह्रदय, फेफड़ों, ज्वाइंट्स, स्किन, दिमाग पर असर पड़ता है, लेकिन किडनी पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। यह बीमारी आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है।
ल्यूपस के लक्षण
ब्लड में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाना, सांस लेने में परेशानी, तेज बुखार, याददाश्त में कमी होना, प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर हाई होना, थकान, शरीर में दर्द, चेहरे पर तितली के आकार में दाने या लाल चकत्ते, बाल झड़ना, सिर दर्द, एनीमिया (खून की कमी होना), बार-बार गर्भपात (मिसकैरेज) होना, जोड़ों का दर्द, सिर में माइग्रेन जैसे दर्द होना, तनाव (स्ट्रेस) आदि।