DBRAU Agra: विश्वविद्यालय के फर्जीवाड़ों की परतें उधेड़ेंगे विशेषज्ञ निरीक्षक, इन मामलों की होगी जांच

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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला

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आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में बीएएमएस-एमबीबीएस की कॉपियां बदलने के मामले की परतें उधेड़ने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) विशेषज्ञ निरीक्षकों को टीम में शामिल कर रहा है। ये अधिकारी उच्च शिक्षा से संबंधित फर्जीवाड़ों और घोटालों की पहले भी सफलतापूर्वक जांच कर चुके हैं। इसके लिए मुख्यालय को पत्र लिखा गया है। एसटीएफ को विश्वविद्यालय में अन्य फर्जीवाड़ों और घोटालों की भी शिकायतें मिली हैं। इनकी भी जांच की जाएगी।

बीएएमएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने का मामला 27 अगस्त को सामने आया था। मामले में ऑटो चालक देवेंद्र, डॉ. अतुल, बीएएमएस छात्र पुनीत और दलाल दुर्गेश ठाकुर पकड़े जा चुके हैं। दो मुकदमे दर्ज किए गए। हाल ही में एमबीबीएस की कॉपियां बदलने के मामले में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। बीएएमएस के 14 और एमबीबीएस के 26 छात्रों की कॉपियां बदलने का मामला पुलिस के पास पहुंच चुका है। 

एसटीएफ को मिलीं यह शिकायतें 

एसटीएफ को विश्वविद्यालय में फेल छात्रों को पास कराने, अच्छे नंबर दिलाने, छात्रों को परीक्षा नहीं दिलाने, रुपये लेकर प्रवेश, अध्यापकों की भर्ती, केंद्र निर्धारण, मान्यता देने के संबंध में कई घोटालों की शिकायतें मिल रही हैं। जांच के लिए एसटीएफ ने संबंधित विषयों के विशेषज्ञ निरीक्षक और दरोगा को बुलाने का निर्णय लिया है। टीम में दूसरे विभागों के कर्मचारियों की भी मदद ली जा सकती है।

ठोस साक्ष्य और दस्तावेज जुटाएंगे

एसटीएफ के एसपी राकेश कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय में हुए घोटाले और फर्जीवाड़े की जांच के लिए विशेष कर्मचारियों को लेने के लिए मुख्यालय को पत्र लिख दिया है। विशेषज्ञ निरीक्षक और दरोगा दस्तावेज जुटाएंगे। जिससे उन्हें ठोस साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जा सके। टीम में दूसरे विभागों के कर्मचारियों की भी मदद ली जा सकती है।

सेंट जोंस के पास बना कार्यालय

एसटीएफ ने अब सेंट जोंस के पास एक कॉलोनी में कार्यालय बनाया है। विश्वविद्यालय परिसर में बनाए गए कार्यालय में सूचना देने वाले कम आने की आशंका जाहिर की गई थी। इस पर यह कार्यालय खोला गया। इस कार्यालय में लोग आसानी से सूचना देने भी आ सकेंगे।

इनका जवाब चाहिए

– विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त कालेजों की संख्या। मान्यता और शिक्षकों की भर्ती की क्या प्रक्रिया रही?
– केंद्र से कॉपियां निकलने के बाद बदल दी जाती थीं? एजेंसी पर कॉपियां पहुंचने समय देखा जाता था या नहीं?
– कॉपियों पर भी नंबर लिखा जाता है। इसका मिलान किया गया या नहीं? कॉपियां कहां से तैयार की गईं?
– भर्ती, केंद्र निर्धारण, निर्माण में भी घोटालों की शिकायतें क्या सही हैं। कौन-कौन कर्मचारी शामिल हैं? 

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एमबीबीएस की कापियों में लेखनी अलग-अलग

एमबीबीएस की कॉपियों का मिलान करने पर शिक्षा माफिया की कारस्तानी पकड़ में आ रही है। छात्र एक है और उसकी कॉपियों में लेखनी अलग-अलग है। जांच में ये कॉपियां आगरा और मथुरा के निजी मेडिकल कॉलेज की हैं।

एसटीएफ ने एमबीबीएस की 26 कॉपियां बदली हुई पकड़ी हैं। एमबीबीएस की 4 साल की कॉपियां मिलाई जा रही हैं। चारों साल की कॉपियों में लेखनी बदली हुई मिल रही है। इससे आशंका है कि कॉपियां बदलने का खेल लंबे समय से चल रहा है। अभी और कॉपियों का मिलान हो रहा है। इससे और फर्जीवाड़ा पकड़ में आएगा।

विस्तार

आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में बीएएमएस-एमबीबीएस की कॉपियां बदलने के मामले की परतें उधेड़ने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) विशेषज्ञ निरीक्षकों को टीम में शामिल कर रहा है। ये अधिकारी उच्च शिक्षा से संबंधित फर्जीवाड़ों और घोटालों की पहले भी सफलतापूर्वक जांच कर चुके हैं। इसके लिए मुख्यालय को पत्र लिखा गया है। एसटीएफ को विश्वविद्यालय में अन्य फर्जीवाड़ों और घोटालों की भी शिकायतें मिली हैं। इनकी भी जांच की जाएगी।

बीएएमएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने का मामला 27 अगस्त को सामने आया था। मामले में ऑटो चालक देवेंद्र, डॉ. अतुल, बीएएमएस छात्र पुनीत और दलाल दुर्गेश ठाकुर पकड़े जा चुके हैं। दो मुकदमे दर्ज किए गए। हाल ही में एमबीबीएस की कॉपियां बदलने के मामले में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। बीएएमएस के 14 और एमबीबीएस के 26 छात्रों की कॉपियां बदलने का मामला पुलिस के पास पहुंच चुका है। 

एसटीएफ को मिलीं यह शिकायतें 

एसटीएफ को विश्वविद्यालय में फेल छात्रों को पास कराने, अच्छे नंबर दिलाने, छात्रों को परीक्षा नहीं दिलाने, रुपये लेकर प्रवेश, अध्यापकों की भर्ती, केंद्र निर्धारण, मान्यता देने के संबंध में कई घोटालों की शिकायतें मिल रही हैं। जांच के लिए एसटीएफ ने संबंधित विषयों के विशेषज्ञ निरीक्षक और दरोगा को बुलाने का निर्णय लिया है। टीम में दूसरे विभागों के कर्मचारियों की भी मदद ली जा सकती है।



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