Diwali 2022: त्योहार पर कहीं सेहत का न निकाल लें ‘दिवाला’, लड्डू-पेड़े खाएं मगर इस बात पर भी दें ध्यान

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दिवाली मिठाई

दिवाली मिठाई
– फोटो : फाइल फोटो

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दीपावली का मतलब मौज-मस्ती और ढेर सारा खाना-खिलाना। तरह-तरह की मिठाइयां, ड्राईफ्रूट्स त्योहार आपके सामने होंगे। यूं तो भारतीय पारंपरिक मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स सेहत के लिए लाभदायक हैं, लेकिन कहते हैं अति हर चीज की बुरी होती है। अगर जान लिया जाए कि हम जो मिठाई या ड्राईफ्रूट खा रहे हैं उनमें कितनी कैलोरी है तो हम त्योहारों पर भी अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं।

बिस्कुट-चॉकलेट से बेहतर हैं पारंपरिक मिठाइयां

दीपावली पर अपनों को कुछ मीठा देना परंपरा है। चाकलेट, बिस्कुट, जूस देने का रिवाज बढ़ता जा रहा है। जान लें पारंपरिक भारतीय मिठाइयां आज भी चाकलेट, बिस्कुट और रेडीमेड जूस से स्वाद और सेहत के लिहाज से बहुत आगे हैं। भारतीय मिठाइयों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आवश्यक फैट और शुगर होती है। आप मिलावट और अधोमानक सामग्री का ध्यान रखें तो मिठाइयों का लेन-देन आपकी खुशियों को और बढ़ा सकता है। अच्छी, नामी और प्रतिष्ठित अथवा जान-पहचान की दुकानों से ही मिठाइयां खरीदें।

पारंपरिक मिठाइयों की खूबी यह है कि सामान्य खर्च में इसे घर में ही बनाया जा सकता है। इसी तरह रोजाना काफी मात्रा में नट्स और ड्राई फ्रूट्स खाते हैं तो कोशिश करें कि कम कैलोरी वाली चीजाें का ही चुनाव करें। अखरोट में लाभदायक फैट बड़ी मात्रा में होता है। यह हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारी के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए इसे भी खाएं, लेकिन सीमित मात्रा में। ड्राई फ्रूट्स के मुकाबले नट्स में कम कैलोरी होती है, इसलिए उन्हें अपनी डाइट में अधिक मात्रा में शामिल कर सकते हैं। खजूर में सबसे अधिक कैलोरी होती है, इसलिए उसे बहुत कम ही खाएं।

क्या कहते हैं सेहत विशेषज्ञ

  • अगर आपका पेट भरा है तो मिठाई कम खाएं। अगर आपने नियमित भोजन नहीं किया है तो मिठाई कुछ ज्यादा हो जाए तो भी दिक्कत नहीं है। अगर ज्यादा हो भी जाए तो वर्कआउट पर ध्यान दें। -मुमताज फातिमा, डायटीशियन, जेएन मेडिकल कॉलेज।
  • हमें दिन के तीन या चार बार के भोजन के अनुसार 2200 तक कैलोरी लेनी होती है। अगर हमने इसका सेवन पूरा कर लिया है तो फिर ज्यादा मिठाई खाने से बचें। बाकी वर्कआउट, अत्यधिक पानी पीना आदि भी जरूरी है। -डॉ. अमित वार्ष्णेय, फिजीशियन।
  • मिठाई की गुणवत्ता पर ध्यान देना सबसे पहले जरूरी है। फिर स्वस्थ शरीर में अगर दिन भर में कैलोरी से कहीं अधिक मिठाई जा रही है तो उसके लिए वर्कआउट पर ध्यान देना जरूरी है। इसलिए सावधानी रखें और शरीर का ध्यान रखें। -डॉ. ईश्वर देवी बत्रा, सीएमएस जिला अस्पताल।

यह मिठाइयां चलन में

सोनपापड़ी में 12 प्रकार, ड्राईफ्रूट की कई मिठाइयां, दूध/मावा से बनने वाली मिठायां, छेना से बनने वाली मिठाई, गुझिया, चंद्रकला, बालूशाही, रसगुल्ला, रसमलाई, बरफी, लड्डू, आदि।

डायटीशियन/न्यूट्रीशियन की सलाह

  • खाने के बाद मिठाई खाएं, न कि मिठाई से ही पूरी तरह पेट भर लें। 
  • मिठाई खाने वाले खूब सारा पानी पीयें ताकि शरीर से टॉक्सिक निकल जाएं। 
  • संभव हो तो मिठाई खाने के बाद कम से कम 20 मिनट का वर्कआउट करें। 
  • संभव हो तो दीपावली बाद डाइट प्लान जरूर बनाएं।

नोट- प्रति दिन कैलोरी जरूरी (पुरुष 2200) (महिला1900)

ड्राईफ्रूट्स में कैलोरी प्रति एक पीस

  • खुबानी : 3.1 कैलोरी
  • किशमिश : 3.1 कैलोरी
  • पिस्ता : 4.4 कैलोरी
  • काजू : 6 कैलोरी
  • बादाम : 7.9 कैलोरी
  • अखरोट :14.4 कैलोरी
  • खजूर : 76.1 कैलोरी

मिठाई में कैलोरी

सोन पापड़ी के 30 ग्राम के एक पीस में : कैलोरी 170, कुल फैट 9 ग्राम, सैचुरेटेड फैट 5 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल 10 मिलीग्रा, सोडियम 0 मिलीग्रा, कार्बोहाइड्रेट 18 ग्राम, शुगर 15 ग्राम, फाइबर 0, प्रोटीन 3 ग्राम। विधि इसे बेसन, घी, चीनी मिलाकर पकाकर तैयार किया जाता है। इसमें कई फ्लेवर बनते हैं।

गुलाबजामुन 2 पीस: फैट 15 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल 31 एमजी, कैलोरी लगभग 380। इसमें आटा, मावा, चीनी और स्वाद आदि शामिल है। विधि तेल में डीप फ्राई करने के बाद चाशनी में डुबोया जाता है।

बर्फी: फैट 6 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल 15 ग्राम, कैलोरी लगभग 125 पर पीस। इसमें गाढ़ा दूध, चीनी, बेसन, पिस्ता, काजू शामिल है। विधि दूध को चीनी के साथ तब तक उबाला जाता है जब तक वह ठोस न हो जाए। काजू बर्फी (कतली), नारियल की बर्फी, बेसन की बर्फी, डोडा बर्फी, मिल्क केक जैसी मिठाइयों के सभी मुरीद हैं। दूध में मिलावट नहीं है तो बर्फी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है।

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रसगुल्ला: फैट 1 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल- 2 एमजी, कैलोरी 150 पर 2 पीस। इसमें छेना और चीनी शामिल है। विधि छेने को चीनी में पका कर उसे उसमें पूरी तरह से डुबो दिया जाता है। गाय के दूध से बने छेने का चीनी की चाशनी में डूबा गोला ही रसगुल्ला है। छेना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

हलवा: फैट 23 ग्राम, कैलोरी 360 पर प्लेट। इसमें मूंग, आटा, सूजी, गाजर आदि, चीनी, मेवे, तेल आदि शािमल हैं। विधि पानी, चीनी, घी को आटे के साथ मिला कर पकाया जाता है। मूंग का हलवा, कराची हलवा, सोहन हलवा और गाजर का हलवा न सिर्फ स्वाद में बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। दालों के उपयोग से इनमें विटामिन्स भी भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।

जलेबी: फैट 24 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल 7 ग्राम, कैलोरी लगभग 100 प्रति 100 ग्राम। इसमें आटे का घोल, खमीर, चीनी और कभी कभार दही शामिल है। विधि घोल को डीप फ्राई कर के चाशनी में डुबाया जाता है।

मिल्क केक: फैट 9 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल 20 एमजी, कैलोरी 175 ग्राम प्रति 50 ग्राम। इसमें दूध, रवा और चीनी शामिल है। विधि तब तक चलाना होता है जब तक दूध, रवा और घी आपस में अच्छे से मिल कर ठोस न हो जाएं।

रबड़ी: फैट 19.9 ग्राम, कोलेस्ट्रॉल 20 एमजी, कैलोरी 373.7 ग्राम 1 कप। इसमें दूध, चीनी और इलायची शामिल है। विधि दूध और चीनी को गाढ़ा होने तक पकाया जाता है।

रसमलाई: फैट 8 ग्राम, कैलोरी 180 ग्राम, कार्ब 18 ग्राम पर पीस। इसमें छेना, चीनी और दूध शामिल है। विधि छेने को चीनी और दूध में मिलाया जाता है।

मैसूर पाक: यह घी से बनता है इसलिए इसमें काफी कैलोरी होती है। मैसूर पाक के एक टुकड़े में 261.8 कैलोरी होती है। जिन्हें अपना वजन कम करना है उन्हें इस मिठाई से परहेज करना चाहिए।

मोदक: इसका एक पीस 124.7 कैलोरी देता, इसलिए इस बार प्रसाद का एक ही मोदक खाना चाहिए। यह बेसन, चीनी, घी आदि से मिलकर बनता है। लड्डू कई प्रकार के होते हैं। मोतीचूर के लड्डू, बेसन के लड्डू , नवरत्न लड्डू, मोदक, चावल के लड्डू, बाजरे के लड्डू, तिल के लड्डू आदि।

मोतीचूर के लड्डू: एक लड्डू में 57.8 कैलोरी। यह भी बेसन, नीची, घी व मेवा आदि से मिलाकर बनता है।

विस्तार

दीपावली का मतलब मौज-मस्ती और ढेर सारा खाना-खिलाना। तरह-तरह की मिठाइयां, ड्राईफ्रूट्स त्योहार आपके सामने होंगे। यूं तो भारतीय पारंपरिक मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स सेहत के लिए लाभदायक हैं, लेकिन कहते हैं अति हर चीज की बुरी होती है। अगर जान लिया जाए कि हम जो मिठाई या ड्राईफ्रूट खा रहे हैं उनमें कितनी कैलोरी है तो हम त्योहारों पर भी अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं।

बिस्कुट-चॉकलेट से बेहतर हैं पारंपरिक मिठाइयां

दीपावली पर अपनों को कुछ मीठा देना परंपरा है। चाकलेट, बिस्कुट, जूस देने का रिवाज बढ़ता जा रहा है। जान लें पारंपरिक भारतीय मिठाइयां आज भी चाकलेट, बिस्कुट और रेडीमेड जूस से स्वाद और सेहत के लिहाज से बहुत आगे हैं। भारतीय मिठाइयों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आवश्यक फैट और शुगर होती है। आप मिलावट और अधोमानक सामग्री का ध्यान रखें तो मिठाइयों का लेन-देन आपकी खुशियों को और बढ़ा सकता है। अच्छी, नामी और प्रतिष्ठित अथवा जान-पहचान की दुकानों से ही मिठाइयां खरीदें।

पारंपरिक मिठाइयों की खूबी यह है कि सामान्य खर्च में इसे घर में ही बनाया जा सकता है। इसी तरह रोजाना काफी मात्रा में नट्स और ड्राई फ्रूट्स खाते हैं तो कोशिश करें कि कम कैलोरी वाली चीजाें का ही चुनाव करें। अखरोट में लाभदायक फैट बड़ी मात्रा में होता है। यह हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारी के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए इसे भी खाएं, लेकिन सीमित मात्रा में। ड्राई फ्रूट्स के मुकाबले नट्स में कम कैलोरी होती है, इसलिए उन्हें अपनी डाइट में अधिक मात्रा में शामिल कर सकते हैं। खजूर में सबसे अधिक कैलोरी होती है, इसलिए उसे बहुत कम ही खाएं।



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