जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में फैले एक बड़े ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकी नेटवर्क के भंडाफोड़ ने पूरे देश को हिला दिया है। इस सनसनीखेज मामले में लखनऊ की महिला डॉक्टर शाहीन सिद्दीकी (शाहिद) के कानपुर कनेक्शन ने नया मोड़ ला दिया है। इंडिया टीवी को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार, जिस डॉक्टर शाहीन के पास से AK-47 राइफल और जिंदा कारतूस बरामद हुए थे, वह कभी कानपुर के प्रतिष्ठित गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (GSVM) मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर तैनात रही थीं।
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) की टीम मेडिकल कॉलेज पहुंची और डॉ. शाहीन के सभी रिकॉर्ड, अटेंडेंस शीट्स, तबादला फाइलें और विभागीय दस्तावेज की जानकारी कलेक्ट कर के साथ ले गयी है ।
सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जब डॉक्टर शाहीन सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था, तब उस दौरान उसकी स्विफ्ट डिजायर कार की डिक्की से एक AK-47 राइफल, कई मैगजीन, जिंदा कारतूस और संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए थे। सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई एक अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल के खिलाफ संयुक्त अभियान का हिस्सा थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, यूपी एटीएस, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने मिलकर काम किया।
इस ऑपरेशन में कुल 2,900 किलोग्राम विस्फोटक (संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट), IED बनाने की सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, टाइमर, एके-56 राइफल, चीनी पिस्टल और अन्य घातक हथियार जब्त किए गए। फरीदाबाद के धौज गांव में एक किराए के फ्लैट से 360 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ, जहां डॉ. शाहीन और उनके कथित प्रेमी डॉ. मुजम्मिल शकील तीन महीने पहले रहने लगे थे।
डॉ. मुजम्मिल शकील, जो पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) का निवासी है, फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में लेक्चरर था। वह डॉ. शाहीन की गर्लफ्रेंड बताई जा रही हैं और अक्सर उनकी कार का इस्तेमाल करता था। पुलिस का दावा है कि यह मॉड्यूल पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGUH) के इशारे पर काम कर रहा था। उद्देश्य दिल्ली, लखनऊ और अन्य प्रमुख शहरों में बड़े विस्फोटों को अंजाम देना था। इस नेटवर्क में तीन डॉक्टरों समेत आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें डॉ. आदिल राथर (सहारनपुर) और डॉ. उमर नबी (अलीगढ़) भी शामिल हैं। गिरफ्तार डॉ. शाहीन को हवाई मार्ग से श्रीनगर ले जाया गया है, जहां गहन पूछताछ चल रही है।
डॉ. शाहीन सिद्दीकी का मेडिकल करियर शुरू में काफी चमकदार रहा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की कठिन परीक्षा के माध्यम से उनका चयन हुआ था। वे GSVM मेडिकल कॉलेज, कानपुर में प्रवक्ता (लेक्चरर) के पद पर कार्यरत रहीं, जहां उन्होंने मेडिसिन विभाग में छात्रों को पढ़ाया। वर्ष 2009-2010 के बीच उनका तबादला कन्नौज के राजकीय मेडिकल कॉलेज में हो गया था। वहां कुछ समय सेवा देने के बाद वे कानपुर लौटीं, लेकिन साल 2013 में अचानक बिना किसी सूचना या इस्तीफे के अनुपस्थित हो गईं। लंबे समय गायब रहने के बाद डॉ शाहीन को कॉलेज प्रशासन ने कई नोटिस जारी किए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
मेडिकल कॉलेज में इस खबर से हड़कंप मच गया है। पूर्व सहकर्मी डॉ. राकेश कुमार (नाम परिवर्तित) ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया टीवी को बताया, “शाहीन पढ़ाने में उत्कृष्ट थीं। वे कन्नौज तबादले के बाद थोड़ी परेशान लगती थीं, लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि वे ऐसी राह पर चली जाएंगी।” सूत्रों के अनुसार, एटीएस अब शाहीन के कॉलेज के दौरान के संपर्कों, सहपाठियों और परिवार की भी जांच कर रही है। सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी बर्खास्तगी के बाद वे अवैध गतिविधियों में फंस गईं? क्या मेडिकल कॉलेज के समय से ही कोई संदिग्ध लिंक था?
पुलिस जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन फरीदाबाद आतंकी साजिश में गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल की करीबी सहयोगी और गर्लफ्रेंड थीं। मुजम्मिल उनकी कार का इस्तेमाल विस्फोटक और हथियारों की ढुलाई के लिए करता था। दोनों ने फरीदाबाद में एक फ्लैट किराए पर लिया था, जहां IED असेंबली का काम होता था। शाहीन पर आरोप है कि वे जैश-ए-मोहम्मद के लिए भर्ती, प्रचार और लॉजिस्टिक्स सप्लाई का काम संभाल रही थीं। खुफिया एजेंसियों को शक है कि यह नेटवर्क ‘डी गैंग’ (डॉक्टर गैंग) का हिस्सा था, जिसमें पांच डॉक्टर शामिल थे। दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट जैसी घटनाओं में भी इस गैंग का हाथ होने की आशंका है।
यह मामला न केवल मेडिकल प्रोफेशनल्स की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि ‘स्लीपर सेल्स’ की घुसपैठ को भी उजागर करता है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि डॉक्टरों जैसे सम्मानित पदों का दुरुपयोग आतंकी संगठनों की नई रणनीति है। केंद्र और राज्य सरकारें इस पर हाईलेवल मीटिंग कर रही हैं।








