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‘सर, आप कह रहे हैं कि स्क्रीन टाइम को हम लोग कम करें। पर यदि हमें खुद को अपडेट रखना है तो इंटरनेट का इस्तेमाल करना ही पड़ता है। ऑनलाइन क्लासेस करनी ही पड़ती हैं, ऐसे में हम लोग कैसे घटाएं स्क्रीन टाइम।’ कुछ ऐसे ही सवाल विशेषज्ञ से बच्चों ने पूछे, जब उन्हें स्क्रीन टाइम के बढ़ते खतरों के बारे में बताया जा रहा था।
मौका था अमर उजाला फाउंडेशन और सेंट्रल फॉर सोशल रिसर्च की ओर से आयोजित ई-पाठशाला का। आयोजन एसकेडी एकेडमी के सहयोग से विक्रांतखंड स्थित शाखा में किया गया। राजाजीपुरम और वृंदावन स्थित शाखाओं के 1600 स्टूडेंट ऑनलाइन वर्कशॉप का हिस्सा बने।
इस दौरान इंडियन साइकोलॉजी एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव, सीएसआर दिल्ली की ट्रेनर तान्या ठाकुर और सेंड्रा एलिजा ने बच्चों को डिजिटल सेफ्टी और मानसिक सुरक्षा के टिप्स दिए। निदेशक मनीष सिंह ने बच्चों और पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं।
एसकेडी ग्रुप की असिस्टेंट डायरेक्टर कुसुम बत्रा, विक्रांतखंड शाखा की प्रिंसिपल डॉ. कविता श्रीवास्तव, वाइस प्रिंसिपल वीना सिंह, इंचार्ज कनक व आईटी हेड सुशांत मौर्या भी मौजूद रहे। 25 अगस्त को पाठशाला बाराबंकी के पायनियर मॉन्सेटरी स्कूल में लगेगी।
डॉ. आशुतोष ने दिए टिप्स
- सोशल मीडिया और मोबाइल के इस्तेमाल में समय प्रबंधन करें।
- खुद को अनुशासन में बांधें।
- मनोरंजन के अन्य साधनों को भी अपनाएं, खेलकूद संग पेंटिंग जैसे रचनात्मक
- कामों में खुद को व्यस्त करें।
- वास्तविक दोस्तों के साथ समय बिताएं, न कि आभासी दुनिया में दोस्त ढूंढें।
- ध्यान जैसी माइंडफुलनेस गतिविधियों का अभ्यास करें।
फैसले से पहले 30 सेकंड लें
सीएसआर की टीम ने मेटा आधारित ट्रेनिंग मॉड्यूल को समझाते हुए कहा कि डिजिटल वर्ल्ड में रोजाना अपराध हो रहे हैं। जरूरी है कि आने वाले मेल, मैसेज आदि पर यकीन करने से पहले 30 सेकंड का समय लें, सोचें और तब फैसला करें। जीवन में क्रिटिकल थिंकिंग करें और सही गलत का फर्क समझें।
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