Environment: ताजनगरी में साल के केवल 75 दिन ही रही सांस लेने लायक हवा, बाकी दिन प्रदूषण ने बिगाड़ी सेहत

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ताजनगरी की आबोहवा में घुला प्रदूषण बेहद खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है। शहर की हवा में खतरनाक सूक्ष्म कण पीएम-10 और पीएम-2.5 लोगों की सेहत खराब कर रहे हैं। आगरा के लोगों के लिए पूरे साल में केवल 75 दिन ही ऐसे हैं, जब हवा की गुणवत्ता सांस लेने लायक रहती है। वह भी मानसून के 75 दिन, बाकी साल प्रदूषण के हालात बेहद खराब हैं। खासकर अक्तूबर से मई के बीच एयर क्वालिटी बेहद खराब और गंभीर स्तर तक पहुंच रही है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बीते साल एक जून से इस साल 31 मई के बीच की निगरानी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एक साल तक संजय प्लेस स्थित ऑटोमेटिक सेंटर पर वायु प्रदूषण की निगरानी में खुलासा हुआ है कि नवंबर, दिसंबर और जनवरी के महीने में ताजनगरी की हवा सबसे खराब रही है। जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने सबसे बेहतर रहे हैं। 

सर्दी में आगरा देश के सबसे खराब हवा वाले शहरों में टॉप-5 में शुमार रहा तो मानसून के तीन महीनों में सबसे अच्छी हवा यहां रही। बारिश में धूल कणों के घुल जाने और हवा की जगह मिट़्टी में बैठ जाने के कारण प्रदूषण की स्थिति में सुधार दिखा। बारिश न होने पर पूरे साल यानी 240 दिनों तक शहर की हवा में सांस लेना परेशानी भरा है।

हरियाली बढ़े तो प्रदूषण हो कम

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की जनवरी, 2022 में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक आगरा में 33 फीसदी हरियाली की जगह केवल 6.50 फीसदी हरियाली है। ताज ट्रिपेजियम जोन होने के बाद भी ताज के पास वन आवरण बेहद कम है, जबकि महज तीन साल में ही आगरा में 1.11 करोड़ पौधे लगाने का दावा प्रदेश सरकार ने किया है। पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. रंजीत कुमार के मुताबिक हरियाली बढ़े तो प्रदूषण में कमी आएगी। आगरा में दयालबाग, शाहजहां पार्क में एयर क्वालिटी अच्छी है, जबकि संजय प्लेस आदि जगह खराब।

सबसे खराब एयर क्वालिटी

दिन           – एक्यूआई
दो जनवरी  –  489
8 नवंबर   – 484
12 नवंबर –   469
9 नवंबर –   468
11 नवंबर  –  446

सबसे अच्छी हवा इन दिनों

दिन          – एक्यूआई
19 जुलाई  –  19
31 जुलाई  –  19
एक अगस्त   – 19
3 अगस्त   – 19
30 जुलाई  –  20

ये है मानक

0-50 एक्यूआई तक अच्छा
51-100 एक्यूआई तक संतोषजनक
101-200 एक्यूआई तक मॉडरेट
201-300 एक्यूआई तक खराब
301-400 एक्यूआई बहुत खराब
401 से ज्यादा एक्यूआई गंभीर

हवा में धूल और सूक्ष्म कण ज्यादा

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय डॉ. विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि ताजनगरी की हवा में धूल और सूक्ष्म कणों की संख्या ज्यादा है। सड़क किनारे की धूल, ट्रैफिक और ईंधन उत्सर्जन के कारण प्रदूषण है। इसे कम करने के लिए आईआईटी कानपुर से अध्ययन कराया गया था, जिसकी सिफारिशें आ चुकी हैं। 

अनियंत्रित यातायात की है समस्या

टीटीजेड अथॉरिटी के सदस्य इंजीनियर उमेश शर्मा ने कहा कि निर्माण कार्य, वाहनों से उड़ती धूल, सड़क किनारे कच्चे फुटपाथ से शहर में प्रदूषण ज्यादा है। यहां औद्योगिक नहीं, बल्कि यातायात नियंत्रित न होने से प्रदूषण है। यही वजह है कि बारिश होते ही आगरा देश के सबसे अच्छी हवा वाले तो धूल बढ़ने पर देश के सबसे खराब हवा वाले शहर में शामिल हो जाता है।

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धूल कणों, हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ये समाधान

  • सड़कों पर वैक्यूम स्वीपिंग के साथ पानी का छिड़काव किया जाए
  • मशीनों से डिवाइडर किनारे जमा धूल को एकत्र किया जाय
  • फुटपाथ, साइड पटरी पर इंटरलॉकिंग टाइल्स लगाई जाएं
  • सड़क किनारे पौधे लगाए जाएं और कच्ची जगहों पर घास लगाएं
  • लकड़ी, कोयले को ईंधन के रूप में न जलाएं, एलपीजी कनेक्शन दें
  • ठोस कचरे का निस्तारण कराएं, डलाबघरों में कूड़ा जलाने से रोकें
  • भवन निर्माण सामग्री को ढककर रखें और पानी का छिड़काव करें
  • भवन निर्माण स्थल पर 15 फुट ऊंची शीट से घेरकर  निर्माण कराएं
  • ट्रैफिक जाम से बचने के लिए सकरी सड़कों से अतिक्रमण हटाएं
  • डीजल चालित वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक, सीएनजी को बढ़ावा दें

(जैसा आईआईटी कानपुर के प्रो. मुकेश शर्मा ने सुझाव दिया)

अब हमारी बारी, आइए करें बेहतर कल की तैयारी’

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विस्तार

ताजनगरी की आबोहवा में घुला प्रदूषण बेहद खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है। शहर की हवा में खतरनाक सूक्ष्म कण पीएम-10 और पीएम-2.5 लोगों की सेहत खराब कर रहे हैं। आगरा के लोगों के लिए पूरे साल में केवल 75 दिन ही ऐसे हैं, जब हवा की गुणवत्ता सांस लेने लायक रहती है। वह भी मानसून के 75 दिन, बाकी साल प्रदूषण के हालात बेहद खराब हैं। खासकर अक्तूबर से मई के बीच एयर क्वालिटी बेहद खराब और गंभीर स्तर तक पहुंच रही है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बीते साल एक जून से इस साल 31 मई के बीच की निगरानी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एक साल तक संजय प्लेस स्थित ऑटोमेटिक सेंटर पर वायु प्रदूषण की निगरानी में खुलासा हुआ है कि नवंबर, दिसंबर और जनवरी के महीने में ताजनगरी की हवा सबसे खराब रही है। जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने सबसे बेहतर रहे हैं। 

सर्दी में आगरा देश के सबसे खराब हवा वाले शहरों में टॉप-5 में शुमार रहा तो मानसून के तीन महीनों में सबसे अच्छी हवा यहां रही। बारिश में धूल कणों के घुल जाने और हवा की जगह मिट़्टी में बैठ जाने के कारण प्रदूषण की स्थिति में सुधार दिखा। बारिश न होने पर पूरे साल यानी 240 दिनों तक शहर की हवा में सांस लेना परेशानी भरा है।

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