आस्था और भक्ति में इतनी शक्ति है कि लोग अपना दुख और उम्र की थकान भी भूल गए। कुछ ऐसा ही दृश्य गुरुवार को अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा में देखने को मिला। जहां बुजुर्ग महिला और पुरुष परिक्रमा के दौरान युवाओं को मात देते दिखाई दिए।
डंडे के सहारे ही सही बुजुर्गों ने पंचकोसी परिक्रमा पूरी की और आगे की इसी ऊर्जा और उत्साह के साथ परिक्रमा करने की इच्छा जाहिर की। बेगूसराय निवासी एक बुजुर्ग महिला श्रद्धालु पैर में तकलीफ होने के बावजूद डंडे के सहारे राम का नाम जपते हुए आस्था में तल्लीन रही और परिक्रमा पूरी कर पुण्य अर्जित किया।
बेगूसराय से आईं 78 वर्षीय विमला ने कहा कि यह सब श्रीराम की महिमा है। अब तक दो बार 14 कोसी और आज तीसरी बार पंचकोसी की परिक्रमा कर रही हूं। आराध्य की आस्था में उम्र की थकान भी महसूस नहीं होती।
वहीं मध्य प्रदेश से आये 88 वर्षीय श्रद्धालु वासुदेव दासने बताया कि सात दशक से लगातार परिक्रमा कर रहा हूं। यह सब श्रीराम की कृपा से ही संभव है। रामनगरी में आकर आनंद की अनुभूति होती है। आगे भी इसी उत्साह से परिक्रमा करने आऊंगा।
बीकापुर, अयोध्या से आई 80 वर्षीय श्रद्धालु राम कुमारी ने बताया कि परिक्रमा में असीम शांति की अनुभूति होती है। परिवार के लोग मना कर रहे थे, लेकिन मुझे परिक्रमा करने की चाह थी। श्रीराम की कृपा से यह पूरी भी कर ली। अगली बार भी परिक्रमा करूंगी।
बांदा से आये 64 वर्षीय श्रद्धालु सत्यवीर सिंह ने बताया कि पत्नी के साथ परिक्रमा करने यहां आया हूं। इससे शरीर में आध्यात्मिक व सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह मेरी चौथी परिक्रमा है। परिक्रमा के बाद श्रीराम के दर्शन भी करूंगा।
बेगूसराय, बिहार से आये 86 वर्षीय श्रद्धालु महावीर सिंह ने बताया कि श्रीराम-जानकी की कृपा से बच्चे परिवार सुखी रहें। देश में शांति बने रहे, सुख-समृद्धि कायम रहे। इसी कामना के साथ यहां परिक्रमा करने आया हूं। मंदिर बनने के बाद यहां दर्शन करने जरूर आऊंगा।