प्रदेश में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को दूर करने के लिए शासन ने एमबीबीएस डॉक्टरों से भी अल्ट्रासाउंड कराने का फैसला लिया है। इसके तहत अब एमबीबीएस डॉक्टर मरीजों का अल्ट्रासाउंड करेंगे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज इन डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करने की छह माह की ट्रेनिंग देगा। इसके बाद जिला अस्पताल से लेकर अन्य अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर इनकी तैनाती की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, पूरे प्रदेश में रेडियोलॉजिस्ट की कमी है। इसकी वजह से मरीजों को निजी केंद्रों पर जाकर अल्ट्रासाउंड सहित अन्य रेडियोलॉजी संबंधी जांचें करानी पड़ रहीं हैं। जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में कुल चार रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती है। जबकि, नियमानुसार कम से कम 12 रेडियोलॉजिस्ट होने चाहिए। रेडियोलॉजिस्टों की तैनाती के लिए कई बार दोनों संस्थान के प्रमुखों ने शासन को कई बार पत्र भी लिखा, लेकिन तैनाती नहीं हो सकी।
इसकी वजह से जिला और महिला अस्पताल में प्रतिदिन केवल 30 से 40 मरीजों के ही अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन और एक्स-रे हो पाता है। अन्य मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है। इसे देखते हुए शासन ने एमबीबीएस डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड में दक्ष करने का फैसला लिया है। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि एमबीबीएस डॉक्टर नए साल से इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए चिकित्सक को जनवरी 2023 तक एमबीबीएस किए हुए पांच साल पूर्ण हो जाने चाहिए। अधिकतम आयु 45 वर्ष होनी चाहिए। पांच साल के अंदर एमबीबीएस डॉक्टरों के काम का सत्यापन होगा।
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने कहा कि एमबीबीएस चिकित्सकों को अल्ट्रासाउंड की ट्रेनिंग जनवरी माह से शुरू की जाएगी। इसके लिए शासन से पत्र आया है। इसके लिए कुछ नियम व शर्तें हैं, जिनका पालन एमबीबीएस डॉक्टरों को करना होगा। इस सुविधा के शुरू होने के बाद मरीजों को अल्ट्रासाउंड सहित एक्स-रे और सीटी स्कैन जांच में आसानी होगी।
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प्रदेश में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को दूर करने के लिए शासन ने एमबीबीएस डॉक्टरों से भी अल्ट्रासाउंड कराने का फैसला लिया है। इसके तहत अब एमबीबीएस डॉक्टर मरीजों का अल्ट्रासाउंड करेंगे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज इन डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करने की छह माह की ट्रेनिंग देगा। इसके बाद जिला अस्पताल से लेकर अन्य अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर इनकी तैनाती की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, पूरे प्रदेश में रेडियोलॉजिस्ट की कमी है। इसकी वजह से मरीजों को निजी केंद्रों पर जाकर अल्ट्रासाउंड सहित अन्य रेडियोलॉजी संबंधी जांचें करानी पड़ रहीं हैं। जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में कुल चार रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती है। जबकि, नियमानुसार कम से कम 12 रेडियोलॉजिस्ट होने चाहिए। रेडियोलॉजिस्टों की तैनाती के लिए कई बार दोनों संस्थान के प्रमुखों ने शासन को कई बार पत्र भी लिखा, लेकिन तैनाती नहीं हो सकी।
इसकी वजह से जिला और महिला अस्पताल में प्रतिदिन केवल 30 से 40 मरीजों के ही अल्ट्रासाउंड, सिटी स्कैन और एक्स-रे हो पाता है। अन्य मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ता है। इसे देखते हुए शासन ने एमबीबीएस डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड में दक्ष करने का फैसला लिया है। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।