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गोरखपुर एम्स।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए इलाज किया जाएगा। इलाज के दौरान हवा, मिट्टी, धूप, पानी का इस्तेमाल होगा। इलाज के बाद मरीजों पर शोध किया जाएगा और इसी पर आधारित सर्टिफिकेट कोर्स भी कराया जाएगा। इसके लिए एम्स और आरोग्य मंदिर के बीच सोमवार को समझौता हुआ। गोरखपुर एम्स देश का पहला एम्स है, जहां प्राकृतिक चिकित्सा के साथ पढ़ाई और शोध भी होगा।
एम्स निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर और आरोग्य मंदिर के निदेशक डॉ. विमल मोदी ने मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे को समझौता पत्र सौंपा। डॉ. सुरेखा किशोर ने बताया कि देश का पहला एम्स होगा, जो प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए मरीजों का इलाज करेगा। मरीजों के इलाज पर एम्स का आयुष विभाग आरोग्य मंदिर के डॉक्टरों के साथ शोध करेगा, यह शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होंगे।
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इसी तर्ज पर एम्स प्राकृतिक चिकित्सा के छोटे-छोटे सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कराएगा। इससे वैश्विक स्तर पर आयुष की तर्ज पर प्राकृतिक चिकित्सा की भी पहचान होगी। अब तक प्राकृतिक चिकित्सा पर कोई शोध नहीं किए गए हैं। इसकी वजह से विश्व पटल पर इसकी जानकारी लोगों को नहीं हो सकी है। इस दौरान आरोग्य मंदिर की डॉ. स्मिता मोदी, एम्स आयुष के नोडल अधिकारी डॉ. तेजस पटेल, डॉ. पल्लवी आदि मौजूद रहीं।
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