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पुलिस का यह हाल तब है, जब एडीजी, डीआईजी और एसएसपी स्तर के अफसर क्राइम मीटिंग में समीक्षा भी करते हैं। आज भी पुरानी घटनाओं के वादी (पीड़ित) अफसरों के यहां प्रार्थनापत्र लेकर गुहार लगाते देखे जा सकते हैं।
इसी तरह बांसगांव इलाके में बच्चे की हत्या का भी पर्दाफाश नहीं हो सका है। घरवाले फरियाद लिए सीएम तक भी जा चुके हैं। पीड़ित आज तक यह नहीं जान सके कि जो अनहोनी उनके साथ हुई, उसका कारण क्या था और किसने घटना को अंजाम दिया। हाल में गुलरिहा इलाके में सराफ व्यापारी को गोली मारने की घटना का भी पुलिस 10 दिन बाद भी पर्दाफाश नहीं कर पाई है।
22 अगस्त 2019 को कैंट इलाके के भैरोपुर निवासी दवा विक्रेता रंजीत कुमार की घर में गोली मारकर हत्या की गई। पुलिस ने जांच बंद की तो फाइल फिर से खुली और क्राइम ब्रांच को जिम्मेदारी सौंप दी गई, लेकिन इसके बाद भी इस हत्याकांड का खुलासा नहीं हो सका।
केस दो
29 जून 2022 को सिकरीगंज के बुधनपार मार्ग के किनारे बच्चे का कटा सिर मिला था। साफ था कि उसकी हत्या की गई थी। सिर किसका है, इसकी पहचान पुलिस आज तक नहीं कर सकी है। जब पहचान ही नहीं हो सकी तो घटना का पर्दाफाश की बात दूर है।
केस तीन
छह अप्रैल 2022 को बांसगांव के बहोरवा गांव में गोलू उर्फ लक्ष्य नाम के बच्चे की झाड़ी में लाश मिली थी। हाथ और पैर को कपड़े से बांधा गया था। हत्या की पुष्टि के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया। सीएम के जनता दरबार तक में घरवाले गुहार लगा चुके हैं, लेकिन पर्दाफाश नहीं हो पाया।
गोरखपुर जिले में बड़ी घटनाओं के पर्दाफाश में फेल पुलिस नए फार्मूले से फाइलों को दुरुस्त कर अपनी पीठ थपथपा कर रही है। एक, दो नहीं कई घटनाओं में पुलिस इस तरह का खेल कर चुकी है। सरेराह हुईं वारदातों का पर्दाफाश फाइलों में बड़े ही खामोशी से कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, बड़हलगंज में सब्जी विक्रेता की गोली मारकर हत्या कर सनसनी फैलाने की वारदात हो या फिर कौड़ीराम से लापता बुजुर्ग का मामला हो।
डीआईजी जे रविंद्र गौड़ ने कहा कि पुरानी घटनाओं के पर्दाफाश के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। जिन घटनाओं का पर्दाफाश नहीं हुआ या फिर वजह सामने नहीं आ पाई है, उसकी समीक्षा कराई जाएगी।
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