दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण में 37500 हजार पेड़ बाधा बन रहे हैं। इनमें 461 संरक्षित वन क्षेत्र, 689 ग्राम पंचायतों और अन्य सरकारी विभागों के हैं। अन्य पेड़ जिन किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनके हैं। यह पेड़ हटेंगे, तभी इस कॉरिडोर का निर्माण शुरू हो पाएगा।
दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर के पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम मनीष चौधरी व राघव कुमार, वन विभाग के कार्यवाहक वन क्षेत्राधिकारी रविकांत चौधरी ने विभिन्न स्थलों पर खड़े पेड़ों का निरीक्षण किया। टीम में शामिल मनीष चौधरी ने बताया कि बागपत में बड़ौत-अमीनगर सराय मार्ग, बड़ौत-मुजफ्फरनगर मार्ग, बडौत-मेरठ मार्ग, गांगनौली बिजली घर के अलावा शामली, सहारनपुर सहित अन्य जगहों का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंप दी है। पेड़ हटाने और दूसरी जगह लगाने और नए पौधे लगाने का पूरा खर्च एनएचएआई उठाएगी। समझौते के तहत नए पौधों का रखरखाव भी एनएचएआई के जिम्मे होगा।
मार्च 2021 को पहले चरण की हुई थी शुरूआत
दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकनॉमिक कॉरिडोर के पहले चरण की शुरूआत मार्च 2021 में हुई थी। इसमें ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से दिल्ली यूपी बॉर्डर तक करीब 17 किमी लंबी छह लेन की एलिवेटेड रोड का निर्माण होना है।
यहां बनेंगें इंटरचेंज
हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, यमुनानगर, बागपत, मेरठ व बड़ौत को जोड़ने के लिए सात इंटरचेंज बनेंगे।
अधिग्रहण की गई जमीन
दिल्ली-देहरादून ग्रीन फील्ड इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए बागपत के 27 गांवों, मुजफ्फरनगर के सात और शामली के 22 गांवों, सहारनपुर के 25 गांवों की 1100 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। यह जमीन ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से सहारनपुर तक है। इसमें बागपत की 350 हेक्टेयर जमीन शामिल है।
अधिकांश किसानों को दिया जा चुका है मुआवजा
डीएफओ हेमंत सेठ ने बताया कि सर्वे कर पेड़ों के छपान की सूची दे दी है, उसको क्रॉस चेक करने के लिए विभागीय टीम लगी है। किसानों के निजी पेड़ों के कटान के लिए कुछ किसानों को छोड़कर अधिकांश किसानों को संतोषजनक मुआवजा प्राप्त हो चुका है। क्रॉस चेक रिपोर्ट जल्द ही मिलने वाली है, जिसके बाद निर्माण के लिए बाधक बने पेड़ों को हटाया जाएगा।