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वाराणसी कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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वाराणसी स्थित ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचा कर हिंदू भावनाओं को भड़काने, शिवलिंग के ऊपरी भाग में सीमेंटनुमा पदार्थ जमाकर ड्रिल मशीन से छेद कर फव्वारा का रूप देने के मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आवेदन को पोषणीय नहीं मानते हुए निचली अदालत ने खारिज कर दिया है। निचली अदालत के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस पर 28 फरवरी को सुनवाई होगी।
बजरडीहा, भेलूपुर के विवेक सोनी और चितईपुर के जयध्वज श्रीवास्तव ने अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव और नित्यानंद राय के माध्यम से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र दिया है। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रमुख विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से काशी में स्थित हैं। उसका विध्वंस कभी नहीं हुआ है। बल्कि, मात्र मंदिर के स्वरूप को क्षतिग्रस्त किया गया था।
मंदिर के मलबे से ही कथित मस्जिद के भवन का स्वरूप बनाया गया और हर स्थिति में ज्योतिर्लिंग अपने स्थान पर कायम रहा है। कुछ अज्ञात लोग जो औरंगजेब के धर्म के लोग के मानने वाले हैं, वो काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को कूप बनाकर ढकने के बाद एक पोखरी का निर्माण कर वजू का स्थान अवैधानिक तरीके से बना दिए।
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