Gyanvapi Case : उपासना स्थल अधिनियम से प्रतिबंधित है पूजा, कोर्ट ने शृंगार गौरी पूजा मामले में की टिप्पणी

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हाईकोर्ट।

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– फोटो : amar ujala

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ज्ञानवापी मस्जिद स्थित शृंगार गौरी की नियमित पूजा के मामले में बृहस्पतिवार को अंजुमने इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से पक्ष रखा गया। कहा गया कि नियमित पूजा उपासना स्थल अधिनियम से नियमित पूजा प्रतिबंधित है। इसलिए यहां नियमित पूजा की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। करीब सवा घंटे तक चली बहस के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए आगे बढ़ा दिया।

अंजुमने इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान केवल इंतजामिया कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की। उन्होंने कुल तीन बिंदुओं पर अपना पक्ष रखा। कहा, जिला अदालत में शृंगार गौरी की नियमित पूजा केलिए दाखिल वाद सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि, यह उपासना स्थल से प्रतिबंधित है।

मंदिर पक्ष यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि पूजा 1990 में रोकी गई या 1993 में, अगर इन दोनों ही तिथियों में नियमित पूजा रोकी गई तो यह लिमिटेशन एक्ट से प्रतिबंधित है। लिमिटेशन एक्ट से वाद केवल तीन वर्षों के भीतर ही दाखिल हो सकता है। 

दूसरा यह कि यह उपासना स्थल अधिनियम से भी प्रतिबंधित है। 15 अगस्त 1947 से ज्ञानवापी मस्जिद का वही स्टेट्स बरकरार रहना चाहिए। इसके अलावा यह सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात के नियम 11 के तहत राहत पाने के हकदार नहीं है। यह काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है। बृहस्पतिवार को बहस पूरी न होने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को भी तिथि सुनिश्चित की है।

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ज्ञानवापी मस्जिद स्थित शृंगार गौरी की नियमित पूजा के मामले में बृहस्पतिवार को अंजुमने इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से पक्ष रखा गया। कहा गया कि नियमित पूजा उपासना स्थल अधिनियम से नियमित पूजा प्रतिबंधित है। इसलिए यहां नियमित पूजा की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। करीब सवा घंटे तक चली बहस के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए आगे बढ़ा दिया।

अंजुमने इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान केवल इंतजामिया कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की। उन्होंने कुल तीन बिंदुओं पर अपना पक्ष रखा। कहा, जिला अदालत में शृंगार गौरी की नियमित पूजा केलिए दाखिल वाद सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि, यह उपासना स्थल से प्रतिबंधित है।

मंदिर पक्ष यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि पूजा 1990 में रोकी गई या 1993 में, अगर इन दोनों ही तिथियों में नियमित पूजा रोकी गई तो यह लिमिटेशन एक्ट से प्रतिबंधित है। लिमिटेशन एक्ट से वाद केवल तीन वर्षों के भीतर ही दाखिल हो सकता है। 

दूसरा यह कि यह उपासना स्थल अधिनियम से भी प्रतिबंधित है। 15 अगस्त 1947 से ज्ञानवापी मस्जिद का वही स्टेट्स बरकरार रहना चाहिए। इसके अलावा यह सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश सात के नियम 11 के तहत राहत पाने के हकदार नहीं है। यह काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है। बृहस्पतिवार को बहस पूरी न होने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को भी तिथि सुनिश्चित की है।



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