Gyanvapi Mosque Case: हिंदू पक्ष के वकील बोले- हमारे पक्ष में आया फैसला तो करेंगे ASI सर्वे की मांग

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बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी प्रकरण में पांच हिंदू महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर मुकदमा अदालत द्वारा सुनने योग्य है या नहीं इस पर फैसला आज दोपहर आने जा रहा है। अदालत के फैसले से पहले वाराणसी में हलचल तेज हो गई है। महिला याचिकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा कि अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है तो फिर हम एएसआई सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है। कोर्ट में मस्जिद कमेटी की तरफ से 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया गया। हम लोगों ने बहुत वैज्ञानिक तौर पर अपने तर्क कोर्ट में रखे हैं। हमारा पक्ष बहुत मजबूत है। अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है तो ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग करेंगे।  

बता दें कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर आज वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत अदालत में फैसला होगा। तीन महीने से ज्यादा समय तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी हैं। हिंदू पक्ष की ओर से इस मामले को सुनवाई योग्य करार देने के लिए कई साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। उधर, मुस्लिम पक्ष ने इस वाद को खारिज कराने के लिए अदालत को सबूत सौंपे हैं। बेहद महत्वपूर्ण इस मामले में बहस के दौरान मुगल आक्रांता औरंगजेब तक के आदेशों का हवाला दिया गया है।

18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका दायर की थी। इस पर तत्कालीन सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था।

16 मई 2022 को सर्वे की कार्यवाही के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 23 मई 2022 से इस मामले में जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है। आज फैसला आने वाला है। जिला जज के फैसले पर सभी की नजरें हैं। अदालत के फैसले से यह तय हो जाएगा कि देश की आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को ज्ञानवापी में मस्जिद थी या मंदिर। इसके साथ ही प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 लागू होगा या नहीं। 

जिला जज की अदालत में चार महिला वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन पक्ष रखा। इसमें उन्होंने 26 फरवरी 1944 के गजट को फर्जी करार दिया और दलील दी थी कि यह धौरहरा बिंदु माधव मंदिर के लिए था। बादशाह आलमगीर ने हिंदू मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई।
वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह की दलील थी कि मंदिर के स्ट्रक्चर पर मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया गया। यह विशेष उपासना स्थल एक्ट से बाधित नहीं है। औरंगजेब आतताई था और मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया, लेकिन मस्जिद के पीछे मंदिर का दीवार छोड़ दी। वक्फ मामले में दीन मोहम्मद के केस का भी हवाला दिया गया है।

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अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता शमीम अहमद ने काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट एक्ट और विशेष उपासना स्थल कानून का हवाला दिया था। इसमें उन्होंने 1944 के गजट और 1936 के दीन मोहम्मद केस के निर्णय का हवाला दिया। इसमें उन्होंने दावा किया कि यह मस्जिद औरंगजेब के जमाने के पहले से है। विशेष उपासना स्थल कानून 1991 का जिक्र कर कहा गया है कि अदालत में आजादी के बाद जो भी धर्म स्थल जिस रूप में होगा, उसी रूप में रहेगा। इसमें मुस्लिम पक्ष ने मामले को सुनवाई योग्य नहीं मानने के लिए दलील दी है।

विस्तार

बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी प्रकरण में पांच हिंदू महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर मुकदमा अदालत द्वारा सुनने योग्य है या नहीं इस पर फैसला आज दोपहर आने जा रहा है। अदालत के फैसले से पहले वाराणसी में हलचल तेज हो गई है। महिला याचिकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा। उन्होंने कहा कि अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है तो फिर हम एएसआई सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है। कोर्ट में मस्जिद कमेटी की तरफ से 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया गया। हम लोगों ने बहुत वैज्ञानिक तौर पर अपने तर्क कोर्ट में रखे हैं। हमारा पक्ष बहुत मजबूत है। अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है तो ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग करेंगे।  

बता दें कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर आज वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत अदालत में फैसला होगा। तीन महीने से ज्यादा समय तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी हैं। हिंदू पक्ष की ओर से इस मामले को सुनवाई योग्य करार देने के लिए कई साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। उधर, मुस्लिम पक्ष ने इस वाद को खारिज कराने के लिए अदालत को सबूत सौंपे हैं। बेहद महत्वपूर्ण इस मामले में बहस के दौरान मुगल आक्रांता औरंगजेब तक के आदेशों का हवाला दिया गया है।

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