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हाथरस जिला अस्पताल
– फोटो : अमर उजाला
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हाथरस जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है। शासन की घोषणा के चार साल बाद भी अभी तक जिले में मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि तक का चयन नहीं हुआ है। बागला जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया है। मामूली बीमारियों के उपचार के लिए भी मरीजों को अलीगढ़ और आगरा तक दौड़ लगानी पड़ती है।
बागला जिला अस्पताल से लेकर महिला जिला अस्पताल में चिकित्सकों, स्टाफ और संसाधनों की काफी कमी है। जिला अस्पताल में चिकित्सकों के 25 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष सीएमएस सहित अस्पताल में सिर्फ 12 चिकित्सक ही तैनात हैं। जिला अस्पताल में कार्डियोलाजिस्ट, फिजीशियन, चेस्ट फिजिशीयन, ईएमओ, त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। हालांकि अस्पताल में एक फिजिशन सीएमओ के अटेचमेंट में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं अनुबंध पर एक त्वचा रोग विशेषज्ञ को रखा गया है। चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी रहती है।
इसी तरह महिला अस्पताल में 14 पद के सापेक्ष सात चिकित्सक तैनात हैं। अधिकतर अस्पताल में सिर्फ एक ही महिला चिकित्सक पर ओपीडी और इमरजेंसी की जिम्मेदारी रहती है। ओपीडी में इंटर्न मरीज देखती हैं। बागला जिला अस्पताल में हृदय रोग चिकित्सक नहीं है। गंभीर मरीजों को जिला अस्पताल से रेफर कर दिया जाता है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए स्थानीय प्रशासन ने पराग डेयरी की भूमि प्रस्तावित की लेकिन अभी दुग्ध विकास विभाग से एनओसी नहीं मिली है।
जिला अस्पताल में कई बीमारियों की नहीं होती जांच
जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल में थायराइड जैसी बीमारियों की जांच की व्यवस्थ नहीं है। एमआरआई जैसी जांंच की सुविधा नहीं है। अन्य हार्मोंस की जांच नहीं होती। इससे मरीजों को निजी खर्चे पर जांच करानी पड़ती है।
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