Hathras News: नहीं मिल रही जमीन, शुरू ही नहीं हो पा रही हैं कई परियोजनाएं

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Land is not available to land the projects

पराग डेयरी का फोटो
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

वर्ष 1997 में हाथरस को जिले का दर्जा मिला। जिला बनने के 25 साल बाद भी कई भवनों के निर्माण के लिए भूमि की तलाश की पूरी नहीं हुई है। मेडिकल कॉलेज निर्माण से लेकर ट्रासंपोर्ट नगर के लिए भूमि का चयन नहीं हो पाया है और परियोजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। लोग सुविधाओं से वंचित हैं। जनप्रतिनिधि घोषणाएं और वादे कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

ट्रांसपोर्ट नगरः 25 साल बाद भी जमीन की तलाश नहीं हुई पूरी

जिले के 25 वर्ष बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर के लिए भूमि की तलाश खत्म नहीं हो सकी है। हैरानी की बात यह है कि यहां माल ढुलाई वाले वाहनों ट्रक और मिनी ट्रक खड़े होने के लिए स्थान निर्धारित नहीं है। सुबह से शाम तक सड़कों के किनारे खड़े ये वाहन जाम और हादसों की वजह बन रहे हैं। शहर में रेडीमेड गारमेंट्स, आचार , मुरब्बा, हैंडलूम सहित तमाम कारोबारियों को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।

मेडिकल कॉलेजः भवन निर्माण के लिए नहीं मिली एनओसी

चार साल पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बजट के दौरान जिले में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की। इसके बाद जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने की आस जगी, लेकिन यह आस आज भी अधूरी है। प्रशासन ने सासनी स्थित पराग डेयरी का मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए चयन किया। इसमें भी एनओसी की अड़चन दूर नहीं हो पाई है। दुग्ध विकास विभाग ने अपनी जमीन पर मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए एनओसी नहीं दी है। जिला प्रशासन ने फिर से एक बार और एनओसी के लिए दुग्ध विकास विभाग को पत्र भेजा है।

तीन बिजलीघरों को शुरू नहीं हुआ निर्माण

शहर में ओवर लोडिंग को खत्म करने के लिए पुलिस लाइन के निकट 33 हजार केवीए का बिजलीघर बनाया जाना था। कई महीने से इसके निर्माण के लिए 2500 वर्ग मीटर भूमि की तलाश चल रही है। लेकिन जमीन नहीं मिली है। विभागीय अधिकारी तहसील के चक्कर का काट रहे हैं। आदर्श नगर, मेंडू रोड, सादाबाद के गांव जटोई , सिकंदाराराऊ के भिसी मिर्जापुर में भी बिजलीघरों के निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल रही है। जमीन मिले तो बिजलीघर बने और इनसे जुड़े इलाकों में बिजली की आपूर्ति में सुधार हो।

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डंपिंग यार्ड के लिए चाहिए 1.5 एकड़ भूमि

पुलिस थानों में दुर्घटना ग्रस्त व क्षतिग्रस्त वाहन खड़े हुए हैं। थानों में जगह की कमी है। इसके लिए जिला प्रशासन, पुलिस व एआरटीओ ने बाईपास पर भूमि की तलाश शुरू कर दी है। इसके लिए 1.5 एकड़ भूमि चाहिए। इतनी भूमि की तलाश अब प्रशासन के लिए नई चुनौती बनी है।

सिकंदाराऊ में बस स्टैंड के लिए भी नहीं मिली जमीन

सिकंदाराराऊ में बस स्टैंड निर्माण के लिए भूमि चयन की प्रकिया पूरी ही नहीं हो पा रही है। कई बार जिला प्रशासन की ओर से भूमि का चयन किया गया है, लेकिन विभागीय अड़चनों की वजह से भूमि का निर्धारित नहीं हो पाया। बस स्टैंड निर्माण के लिए एक एकड़ भूमि की आवश्यकता है। इस कारण यहां के बाशिंदों को सड़कों पर खडे़ होकर वाहनों को पकड़ना पड़ता है।

मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि चिन्हित हो चुकी है, केवल एनओसी मिलने का इंतजार है। सिकंदराराऊ बस स्टैंड के लिए भूमि तकनीकी कारणों से अटकी हुई है। ट्रांसपोर्ट नगर और माल खाने के लिए भूमि चिन्हित करने का प्रयास किया जा रहा है। इनके लिए जल्दी ही भूमि चयनित कर ली जाएगी। -अर्चना वर्मा, डीएम

ट्रांसपोर्ट नगर न बनने से शहर में आए दिन जाम लगा रहता है। बड़े वाहन बाजारों में खड़े रहते हैं। लोगों का बाजार से निकलना दूभर हो जाता है। -नवजोत शर्मा

मेडिकल कॉलेज के निर्माण होने से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन इसमें विलंब हो रहा है। जिले के लोगों को उपचार के लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ता है। -रुपेश गर्ग

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