Hathras News: प्रसूताओं की मौत का बढ़ रहा आंकड़ा, एक साल में प्रसव के दौरान 21 महिलाओं ने गंवाई जान

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21 women lost their lives during childbirth in one year

गर्भवती
– फोटो : Istock

विस्तार


सरकार गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर कम करने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। इसके बावजूद यह आंकड़ा कम होता नजर नहीं आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में 21 महिलाओं ने प्रसव के दौरान दम तोड़ दिया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 12 था। स्वास्थ्य विभाग ने मौत के पीछे प्रसव में जटिलता बताकर इतिश्री कर दी है।

सरकार ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं शुरू की हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना इनमें से एक है। योजना के तहत गर्भवती महिलाएं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर प्रसव होने तक निशुल्क जांच व इलाज करा सकती हैं। सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर महिलाओं को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि गर्भवती महिलाएं अधिक से अधिक संख्या में अस्पताल में आकर प्रसव कराएं, जिससे उनका प्रसव सुरक्षित रूप से हो सके।

इसके बावजूद जिले में प्रसूताओं की मौत का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में साल 2021-22 में 12 महिलाओं ने प्रसव के दौरान दम तोड़ा। साल 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 21 हो गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अधिकांश महिलाओं की मौत का कारण प्रसव में जटिलताएं रहा।

सुरक्षित प्रसव के निर्देश

गर्भवती महिला की समय-समय पर खून और यूरिन की जांच होनी चाहिए। गर्भवती महिला को चिकित्सक से नियमित जांच करानी चाहिए। गर्भावास्था में हर तीन माह में अल्ट्रासाउंड होना चाहिए। घर में प्रसव नहीं होना चाहिए। प्रसव अस्पताल में होना चाहिए। अस्पताल का स्टाफ प्रशिक्षित होना चाहिए।

केस 1

24 जून को सिकंदराराऊ के एक निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान महिला की मौत हो गई। मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। अस्पताल स्टाफ मौके से भाग गए। मामले की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

केस 2

19 जनवरी की सुबह कड़ाके की ठंड में एक महिला ने महिला जिला अस्पताल के गेट पर बच्चे को जन्म दिया। परिजनों का आरोप था कि जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड और खून की जांच की रिपोर्ट न होने की वजह से डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया था। परिजन महिला को लेकर अस्पताल के गेट पर बैठ गए। प्रसव पीड़ा से ग्रस्त महिला ने अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। बाद में मां और नवजात शिशु को अस्पताल में भर्ती किया गया।

अब ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाएं अस्पताल में प्रसव कराती हैं। अस्पतालों में प्रसवों की संख्या बढ़ने के कारण प्रसव के दौरान मौतों की संख्या बढ़ गई है। प्रसवों की संख्या के सापेक्ष यह संख्या काफी कम है। – डॉ. नरेश गोयल, प्रभारी सीएमओ हाथरस

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