Hathras news: सरसों का तेल, रिफाइंड हुआ सस्ता, होली में जमकर तलेंगे पकवान

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बोतल में सरसों का तेल (सांकेतिक तस्वीर)

बोतल में सरसों का तेल (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला

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होली की रसोई में इस बार राहत मिलने की पूरी संभावना है। ब्रज की देहरी के जिले में पुआ-पूड़ी, कचौड़ी, पकौड़ी, पापड़, भजिया आदि तलने के लिए महिलाओं को कम राशि खर्च करनी पड़ेगी। खाद्य तेल के मौजूदा दाम बीते दो साल के न्यूनतम स्तर पर हैं। सरसों के तेल, रिफाइंड के दामों में करीब 40 रुपये प्रति लीटर की राहत मिली है। 

बाजार में स्टॉक भी पर्याप्त हैं। ऐसे में 15 लीटर वाली टिन के खरीदार बढ़ गए हैं। हालांकि आटा, मैदा और सूजी में प्रति किलो छह रुपये की महंगाई का सामना करना पड़ेगा। जिस तरह से मौसम अनुकूल होने से सरसों की अधिक पैदावार हुई है, इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि सरसों के तेल के दाम और भी ज्यादा गिर सकते हैं।

इस बार मंडी में सरसों की खूब आवक हो रही है। आढ़तियों के मुताबिक सरसों की अधिक पैदावार हुई है, जिसके चलते पिछले वर्ष की तुलना में सरसों के दाम एक हजार रुपये प्रति क्विंटल कम हुए हैं। इसके अलावा एक्साइज ड्यूटी कम होने से रिफाइंड सस्ता हुआ है। नतीजतन थोक और खुदरा बाजार में सरसों का तेल व रिफाइंड सस्ता बेचा जा रहा है। बीते वर्ष जिले में 11 हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन हुआ था। तब सूखी सरसों के 62 सौ रुपये प्रति क्विंटल बेची गई। हालांकि इस साल बारिश होने से सरसों की फसल प्रभावित हुई। इसके बावजूद 15000 हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन किया गया है। 

अब मंडी में सूखी सरसों 52 सौ रुपये और गीली सरसों चार हजार रुपये बेची जा रही है। भरपूर सरसों होने से खूब पेराई कराई गई है। दुकानदारों ने बताया कि दो साल पहले फरवरी 2021 में सरसों का तेल 180 और फरवरी 2022 में 160 रुपये प्रति लीटर था। वर्तमान में सरसों का तेल का थोक दाम 115 रुपये प्रति लीटर तक रह गया है। खुदरा दुकानों पर इसकी बिक्री 120 से 122 रुपये प्रति लीटर तक है। हालांकि ब्रांडेड कंपनियों का स्टॉक 130 रुपये लीटर के अनुसार बिक रहा है। इसके अलावा पीली सरसों का तेल अभी भी 180 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है।

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बीते दो साल थे रिकॉर्ड दाम

कारोबारियों ने बताया कि रिफाइंड में इस्तेमाल होने वाला पॉम ऑयल इंडोनेशिया से आता है। सोयाबिन रिफाइंड अर्जेटिना, ब्राजील से और सूरजमुखी रिफाइंड रूस से आयात किया जाता है। दो साल पहले लॉकडॉउन के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंदी छाई रही। ऐसे में रिफाइंड के दाम काफी बढ़ गए थे। तब रिफाइंड की 15 लीटर वाली टिन के दाम 2800 रुपये तक पहुंच गए थे। वहीं, बीते साल रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से भी रिफांइड की आपूर्ति नहीं हो सकी थी। तब इस कमी की पूर्ति सरसों के तेल से की गई। किसानों के पास स्टॉक में रखी हुई जो सरसों थी उसके भी खत्म होने से तेल के दाम बढ़े थे। अब रूस में सप्लाई की आपूर्ति बहाल हो गई है। वहीं, 35 से 40 रुपये की एक्साइज ड्यूटी से घटकर मात्र पांच रुपये रह गई है। ऐसे में पॉम आयल 2500 रुपये प्रति टिन से 1600 रुपये प्रति टिन रह गया है। रिफाइंड भी 2200 रुपये प्रति टिन बेचा जा रहा है।

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