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आगरा रोड स्टेट बैक के पास रोड किनारे खडे़ वाहन
– फोटो : अमर उजाला
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हाथरस जिला बनने के 25 वर्ष बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बना है। लोडर वाहनों के लिए कोई जगह भी निर्धारित नहीं है। ऐसे में सुबह से शाम तक वाहन शहर के मुख्य मार्गों पर फुटपाथ पर खड़े रहते हैं। इस कारण लोगों को जाम से जूझना पड़ता है।
हाथरस जिले को उद्योग की नगरी कहा जाता है। रंग और हींग के लिए मशहूर हाथरस नगरी, रेडीमेड गारमेंट्स, आचार मुरब्बार, हैंडलूम आदि कारोबार होते हैं। यहां से बिहार, असम, गुजरात व अन्य प्रदेशों में माल जाता है। माल की लोडिग अनलोडिंग का कोई स्थायी इंतजाम नहीं है। इससे व्यापार पर काफी असर पड़ता है। ट्रांसपोर्टर अपने ट्रक और मेटाडोर को सड़क किनारे खड़ा करने पर मजबूर हैं। इससे अन्य समस्याएं खड़ी हो रही हैं।
जिला बनने के बाद आज तक नहीं ली सुध
वर्ष 1997 में हाथरस को जिले का दर्जा मिला। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने आश्वासन तो खूब दिए, मगर ट्रांसपोर्टनगर को लेकर गंभीरता किसी सियासी दल ने नहीं दिखाई। इसके कारण ट्रांसपोर्टरों के हाथ निराशा ही लगी हुई है। इस कारण व्यापारियों का सीधे माल नहीं पहुंच पाता है। माल को पहुंचाने में समय अधिक लगता है। इस कारण हाथरस का उद्योग रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
बातचीत ट्रांसपोर्ट नगर न होने के कारण वाहनों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। इस कारण वाहनों को फुटपाथों पर खड़ा करना पड़ता है। यदि ट्रांसपोर्ट नगर बन जाए तो काफी सहूलियत मिलेगी। – राहुल गुप्ता, ट्रांसपोर्टर
हाथरस जिला बने 25 साल हो गए, आज तक ट्रांसपोर्ट नगर पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। न ही वाहनों को खड़ा करने के लिए स्थायी व्यवस्था की गई है। इस कारण वाहनों को खड़ा करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। – अमित बंसल, ट्रांसपोर्टर
जिले में ट्रांसपोर्ट नगर की बहुत आवश्यकता है। यदि ट्रांसपोर्ट नगर बन जाए तो फुटपाथों पर वाहन भी नहीं खड़े होंगे। इस पर जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए ताकि आमजन को भी जाम से राहत मिल सके। – नवजोत शर्मा, ट्रांसपोटर
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