इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के जिला जज डॉ.अजय कृष्ण विश्वेष, केस पत्रावली के साथ हाजिर हुए। कहा, यदि प्रक्रियागत अनियमितता हुई है तो याची उससे प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट के आदेश के बाद 25 नवंबर को उन्होंने निष्पादन अदालत की पत्रावली तथा परवाना बेदखली आदेश वापस कर दिया है। जिला जज ने कहा, उन्होंने सदाशयता से कार्रवाई की है।
इस पर कोर्ट ने कहा, जिला जज की सदाशयता पर कोई संदेह नहीं है। उन्हें पुनरीक्षण अर्जी पर मियाद कानून की धारा 5 के तहत दाखिले में विलंब माफी की अर्जी तय करनी चाहिए थी। बिना अर्जी तय किए कोर्ट को अपील या पुनरीक्षण अर्जी पर डिक्री के निष्पादन पर रोक नहीं लगा सकती। कोर्ट ने 28 मार्च 22 को डिक्री दी। 7 मई 22 को इसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी धारा 5 के साथ दाखिल की।
इस अर्जी को तय करने कर कोई अड़चन नहीं थी। कोर्ट ने कहा, क्योंकि जिला जज ने निष्पादन अदालत की पत्रावली वापस कर दी है। याची को कोई शिकायत नहीं रह गई है। इस पर कोर्ट ने 5 दिसंबर तक धारा 5 तय करने का निर्देश दिया। याची अधिवक्ता ने भी निष्पादन अदालत में केस पर तब तक बल न देने का आश्वासन दिया। कोर्ट ने जिला जज के खिलाफ नोटिस समाप्त करने के साथ ही 21 नवंबर 22 के आदेश में जिला जज के खिलाफ की गई टिप्पणी हटाते हुए याचिका निस्तारित कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने असीम कुमार दास की याचिका पर दिया है।
बता दें कि काल बाधित पुनरीक्षण अर्जी पर जिला जज के दो आदेशों को लेकर विवाद उठा। पुनरीक्षण के साथ दाखिल धारा 5 की अर्जी को तय किए बगैर पारित आदेश की वैधता को चुनौती दी गई थी। जिला जज के आदेश की वजह से भवन स्वामी पुलिस बल के बल पर बेदखल करने की धमकी दे रहा था।
जिला जज ने दोषपूर्ण पुनरीक्षण अर्जी की सुनवाई करते हुए निष्पादन अदालत की पत्रावली तथा परवाना बेदखली मंगा ली थी, जिसकी वापसी की अर्जी भी पेश की गई थी। जिला जज ने कहा,सद्भाव में आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर विस्तृत आदेश जारी कर दिया गया है। याची को अब कोई दिक्कत नहीं है, जिसे स्वीकार कर कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने जिला जज के खिलाफ टिप्पणी की थी कि वह मनमानी के आदती हैं।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के जिला जज डॉ.अजय कृष्ण विश्वेष, केस पत्रावली के साथ हाजिर हुए। कहा, यदि प्रक्रियागत अनियमितता हुई है तो याची उससे प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट के आदेश के बाद 25 नवंबर को उन्होंने निष्पादन अदालत की पत्रावली तथा परवाना बेदखली आदेश वापस कर दिया है। जिला जज ने कहा, उन्होंने सदाशयता से कार्रवाई की है।
इस पर कोर्ट ने कहा, जिला जज की सदाशयता पर कोई संदेह नहीं है। उन्हें पुनरीक्षण अर्जी पर मियाद कानून की धारा 5 के तहत दाखिले में विलंब माफी की अर्जी तय करनी चाहिए थी। बिना अर्जी तय किए कोर्ट को अपील या पुनरीक्षण अर्जी पर डिक्री के निष्पादन पर रोक नहीं लगा सकती। कोर्ट ने 28 मार्च 22 को डिक्री दी। 7 मई 22 को इसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी धारा 5 के साथ दाखिल की।