Hijab Controversy: खुर्शीद का दावा- इस्लाम में कुछ वैकल्पिक नहीं; बोले- कुरान में जो है वह अनिवार्य है

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Hijab Controversy: कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में लंबे समय से जारी हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई सोमवार को एक नए मोड़ पर आ गई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुच्छला ने दलीलें रखीं। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सोमवार को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब समेत तमाम धार्मिक प्रतीकों और वस्त्रों के पहनने पर लगी पाबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर चुनौती याचिकाओं पर सुनवाई की। 
सलमान खुर्शीद ने हिजाब को जायज ठहराते हुए उसकी तुलना हिंदू महिलाओं के घूघंट और सिख समुदाय में पगड़ी से की। उन्होंने कहा कि इस्लाम में जरूरी और गैर-जरूरी का विकल्प नहीं होता है। इस्लाम में कुछ भी बात वैकल्पिक नहीं है। उन्होंने कहा कि कुरान में जो लिखा है वह सब इस्लाम में अनिवार्य है। शीर्ष अदालत इस मामले में बुधवार को भी याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी।  

 

 Hijab Controversy: खुर्शीद का तर्क- कुरान में जो है वह अनिवार्य है

सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिका के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि अन्य धर्मों के विपरीत, इस्लाम में अनिवार्य और गैर-अनिवार्य का कोई द्विआधारी नहीं है और कुरान में जो है वह अनिवार्य है। वरिष्ठ अधिवक्ता खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट को बुर्का, जिलबाब और हिजाब के बीच के अंतर को भी समझाया।  
 

 Hijab Controversy: राजस्थान और यूपी के कुछ हिस्सों में घूंघट अनिवार्य

खुर्शीद ने कहा कि ये सभी सांस्कृतिक प्रथाएं हैं और इसका सम्मान करने की आवश्यकता है। खुर्शीद ने घूंघट का भी उल्लेख किया है, जो उनके अनुसार राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में महिलाओं के लिए घूंघट आवश्यक माना जाता है, जब वे बाहर जाती हैं। 
वहीं, दूसरे ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुच्छला ने कहा कि मामले में एकरूपता का अभाव है और याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। मुच्छला ने पगड़ी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे पहनने में कोई आपत्ति नहीं है तो हिजाब पर क्यों हैं। 
 

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Hijab Controversy: हाईकोर्ट को धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या नहीं करनी चाहिए

वहीं, एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुच्छला ने सोमवार को तर्क दिया कि कर्नाटक हाईकोर्ट को धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या नहीं करनी चाहिए थी। मुच्छला ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने अब्दुल्ला यूसुफ अली के अनुवाद को दिव्य शब्दों के रूप में लिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट में जो याचिका दी गई थी, उसके फैसले में आवश्यक धार्मिक अभ्यास के मुद्दे पर कुरान की व्याख्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। बेंच ने टिप्पणी की, आप याचिकाकर्ता इसे एक आवश्यक धार्मिक प्रथा के रूप में दावा करते हुए उच्च न्यायालय गए थे। हाईकोर्ट के पास क्या विकल्प है?

विस्तार

Hijab Controversy: कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में लंबे समय से जारी हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई सोमवार को एक नए मोड़ पर आ गई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और वरिष्ठ अधिवक्ता युसूफ मुच्छला ने दलीलें रखीं। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सोमवार को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब समेत तमाम धार्मिक प्रतीकों और वस्त्रों के पहनने पर लगी पाबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर चुनौती याचिकाओं पर सुनवाई की। 

सलमान खुर्शीद ने हिजाब को जायज ठहराते हुए उसकी तुलना हिंदू महिलाओं के घूघंट और सिख समुदाय में पगड़ी से की। उन्होंने कहा कि इस्लाम में जरूरी और गैर-जरूरी का विकल्प नहीं होता है। इस्लाम में कुछ भी बात वैकल्पिक नहीं है। उन्होंने कहा कि कुरान में जो लिखा है वह सब इस्लाम में अनिवार्य है। शीर्ष अदालत इस मामले में बुधवार को भी याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी।  

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