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सितंबर 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी म्यूजियम कर दिया। जनवरी, 2020 से ही यहां काम बंद पड़ा है। राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक दिलीप सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट पूरा करने के शासन को पत्र भेजे गए हैं। बजट की उपलब्धता के साथ कार्य पूरा होता जाएगा।
ये काम हैं अधूरे
म्यूजियम में मार्बल फ्लोरिंग, वाल क्लेडिंग, साइट डेवलपमेंट, विद्युतीकरण, फायर फाइटिंग सिस्टम व लिफ्ट का काम नहीं हुआ है। तीन मंजिला म्यूजियम का ढांचा बनकर तैयार है।
शिवाजी म्यूजियम आंकड़ों की नजर से
– 5.9 एकड़ में बन रहा म्यूजियम
– 1300 मीटर दूर है ताजमहल से
– 186 करोड़ रुपये है म्यूजियम की लागत
– 130 करोड़ रुपये किए थे मंजूर
– 56 करोड़ रुपये एसटीपी, बाउंड्री से बढ़े
– 2017, दिसंबर में पूरा होना था निर्माण
नाम बदला तो काम में प्रगति भी आनी चाहिए
टूरिज्म गिल्ड के उपाध्यक्ष राजीव सक्सेना ने बताया कि अगर सरकार ने नाम बदला तो काम में भी प्रगति नजर आनी चाहिए। ऐसे अधूरे निर्माण का नाम बदलने से क्या फायदा। पहले म्यूजियम की शुरुआत ही कर दी जाती। तीन विश्व धरोहरों के शहर में म्यूजियम की जरूरत है जो पर्यटकों की शंकाओं को दूर कर सके।
यह पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण बनता
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा कि दिसंबर, 2017 में पूरा होने वाले म्यूजियम का काम अब तक अधूरा है। नाम बदलने की जितनी जल्दबाजी दिखाई गई, उतनी काम में भी दिखाई जाती तो पर्यटन के लिए अच्छा होता। यह पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण बनता।
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