गोरखपुर सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे। – फोटो : अमर उजाला।
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
गोरखपुर मंडल के 19 ब्लॉक के 116 गांव कालाजार से प्रभावित हैं। हाल ही में कुशीनगर और महराजगंज में भी कालाजार मरीज मिलने की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि ये मरीज नेपाल से लौटे हैं। यह जानकारी सीएमओ सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने दी। उन्होंने बताया कि बीमारी को देखते हुए मंडल में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
सीएमओ ने बताया कि वर्ष 2019 में पिपरौली ब्लॉक के भौवापार गांव में 2019 में कालाजार का मरीज मिला था। वह मरीज प्रवासी था। इसके बाद से लगातार तीन साल तक गांव में कालाजार से बचाव के लिए छिड़काव भी कराया जा रहा है। लगातार तीन वर्षों तक दवा का छिड़काव होगा। बताया कि वाहक बालू मक्खी के काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है।
लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं। बीमारी का इलाज काफी महंगा है और निजी क्षेत्र में इसके लिए एक लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आता है, जबकि सरकारी अस्पताल में इसका इलाज निशुल्क है।
सीएमओ ने बताया कि वेक्टर जनित रोग की वाहक बालू मक्खी रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों, जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों, जानवर बंधने के स्थान तथा नम मिट्टी में रहती है। एंडेमिक जनपदों में यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है।
गोरखपुर मंडल के इन जिलों में कालाजार का खतरा सीएमओ ने बताया कि गोरखपुर मंडल के महराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया जिले कालाजार मरीजों के लिए संवेदनशील है।
कालाजार के लक्षण सीएमओ ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं।
विस्तार
गोरखपुर मंडल के 19 ब्लॉक के 116 गांव कालाजार से प्रभावित हैं। हाल ही में कुशीनगर और महराजगंज में भी कालाजार मरीज मिलने की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि ये मरीज नेपाल से लौटे हैं। यह जानकारी सीएमओ सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने दी। उन्होंने बताया कि बीमारी को देखते हुए मंडल में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
सीएमओ ने बताया कि वर्ष 2019 में पिपरौली ब्लॉक के भौवापार गांव में 2019 में कालाजार का मरीज मिला था। वह मरीज प्रवासी था। इसके बाद से लगातार तीन साल तक गांव में कालाजार से बचाव के लिए छिड़काव भी कराया जा रहा है। लगातार तीन वर्षों तक दवा का छिड़काव होगा। बताया कि वाहक बालू मक्खी के काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है।
लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं। बीमारी का इलाज काफी महंगा है और निजी क्षेत्र में इसके लिए एक लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आता है, जबकि सरकारी अस्पताल में इसका इलाज निशुल्क है।