विश्व की प्राचीनतम नगरी बनारस यूं नहीं कही जाती है। आदिदेव शिव और मां गंगा के साथ ही 33 कोटि देवी-देवता और तीर्थ भी यहीं विराजते हैं। श्री काशी विश्वनाथ के ज्योर्तिलिंग में भगवान शंकर राजराजेश्वर के स्वरूप में यहां विराजमान होकर अपने भक्तों को समस्त ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। देश ही नहीं दुनिया भर से भगवान शिव के भक्त उनके दर्शन के लिए काशी आते हैं। काशी, बनारस या फिर वाराणसी जो भी कहें, भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान है और पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है। यहां प्राचीन विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है। श्री काशी विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग दो हिस्सों में बंटा हुआ है। दाहिने भाग में शक्ति स्वरूपा मां भगवती और वाम भाग में स्वयं महादेव निवास करते हैं। यह दुनिया का इकलौता ज्योर्तिलिंग हैं जहां शिव और शक्ति एक साथ बसते हैं, यह सिर्फ और सिर्फ श्री काशी विश्वनाथ में ही नजर आता है। अगर आप पहली बार मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि मंदिर तक आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग से आराम से कैसे पहुंच सकते हैं?
सड़क, रेल या हवाई मार्ग से मंदिर तक कैसे पहुंचें ?
वाराणसी देश के सभी शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। रोडवेज के अलावा प्राइवेट बसें भी सीधे बनारस के लिए मिलती हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने के लिए रोडवेज बस स्टैंड या शहर के किसी भी हिस्से से गोदौलिया के लिए टैक्सी, ई रिक्शा, ऑटोरिक्शा आराम से मिल जाएगा। गोदौलिया से दशाश्वमेध घाट की तरफ बढ़ने पर सिंहद्वार है जो ढुंढिराज गणेश की तरफ से मंदिर में पहुंचता है। वहीं बांसफाटक की तरफ से विश्वनाथ गली जाने वाला रास्ता भी मंदिर लेकर जाता है। इसके अलावा ज्ञानवापी की तरफ से भी मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए द्वार है।
ट्रेन से कैसे पहुंचे
वाराणसी में चार रेलवे स्टेशन हैं। मंदिर से वाराणसी सिटी स्टेशन की दूरी दो किमी, वाराणसी जंक्शन की दूरी करीब 6 किमी है और बनारस रेलवे स्टेशन की दूरी चार किलोमीटर है। वहीं मुगल सराय रेलवे स्टेशन मंदिर से 17 किमी की दूरी पर है। यह सभी स्टेशन भारत के दूसरे शहरों से ट्रेनों के जरिए जुड़े हुए हैं। स्टेशन के बाहर से मंदिर के लिए सीधे रिक्शा, आटो या टैक्सी उपलब्ध है।
हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट देश और विदेश के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से काशी विश्वनाथ मंदिर की दूरी 20 से 25 किमी की है। टूरिस्ट टैक्सी या कैब लेकर एयरपोर्ट से मंदिर पहुंच सकते हैं।
विस्तार
विश्व की प्राचीनतम नगरी बनारस यूं नहीं कही जाती है। आदिदेव शिव और मां गंगा के साथ ही 33 कोटि देवी-देवता और तीर्थ भी यहीं विराजते हैं। श्री काशी विश्वनाथ के ज्योर्तिलिंग में भगवान शंकर राजराजेश्वर के स्वरूप में यहां विराजमान होकर अपने भक्तों को समस्त ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। देश ही नहीं दुनिया भर से भगवान शिव के भक्त उनके दर्शन के लिए काशी आते हैं।
काशी, बनारस या फिर वाराणसी जो भी कहें, भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान है और पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है। यहां प्राचीन विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है। श्री काशी विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग दो हिस्सों में बंटा हुआ है। दाहिने भाग में शक्ति स्वरूपा मां भगवती और वाम भाग में स्वयं महादेव निवास करते हैं। यह दुनिया का इकलौता ज्योर्तिलिंग हैं जहां शिव और शक्ति एक साथ बसते हैं, यह सिर्फ और सिर्फ श्री काशी विश्वनाथ में ही नजर आता है। अगर आप पहली बार मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि मंदिर तक आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग से आराम से कैसे पहुंच सकते हैं?