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अमित मुद्गल, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 07 Jun 2022 10:03 AM IST
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर होने जा रहे उप चुनाव का रण जीतने के लिए बसपा पूरी ताकत लगाने जा रही है। बसपा ने यहां दलित-मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है। बसपा इस प्रयोग के सहारे लोकसभा चुनाव 2024 में भी अपनी स्थिति का मंथन करेगी और उस चुनाव की प्रयोगशाला भी बनाएगी।
अखिलेश यादव द्वारा यह सीट खाली करने के बाद सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा ने अपने पिछले चुनाव के ही प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ पर दांव खेला है। कांग्रेस चुनावी मैदान से बाहर है। उधर बसपा की ओर से पूरी ताकत लगाने से मुकाबला रोचक हो गया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा व बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे तो यहां से बसपा का वोट भी सपा की तरफ ही शिफ्ट हुआ था। यहां मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में दलित वोटर भी हैं। परिणाम यह रहा था कि अखिलेश भाजपा प्रत्याशी से लगभग पौने तीन लाख वोटों से जीते थे। इस बार के बसपा उम्मीदवार जमाली मुबारकपुर विधानसभा सीट से 2012 व 2017 में बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं।
उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बसपा छोड़ दी थी। माना जा रहा था कि सपा से चुनाव लड़ेंगे पर वहां से टिकट नहीं मिल पाया। उन्होंने एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए। एआईएमआईएम के एकमात्र ऐसे प्रत्याशी थे जो अपनी जमानत बचा पाए थे। बाद में उन्होंने फिर से बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। जमाली पूर्व में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।
चूंकि बसपा रामपुर से चुनाव नहीं लड़ रही है तो ऐसे में पूरा फोकस आजमगढ़ पर किया जाएगा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कहा है कि इस चुनाव को मजबूती से लड़ा जाएगा। पार्टी का प्रयोग आजमगढ़ में सफल रहा तो माना जा सकता है कि 2024 के चुनाव में मुस्लिमों का रुझान बसपा की तरफ आ सकता है।
मायावती बार-बार मुस्लिमों को यह संदेश दे रही हैं कि दलितों के साथ आए बगैर बात बनने वाली नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव यह साबित कर चुका है। आजमगढ़ उप चुनाव में भी यही संदेश दिया जाएगा।
विस्तार
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर होने जा रहे उप चुनाव का रण जीतने के लिए बसपा पूरी ताकत लगाने जा रही है। बसपा ने यहां दलित-मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है। बसपा इस प्रयोग के सहारे लोकसभा चुनाव 2024 में भी अपनी स्थिति का मंथन करेगी और उस चुनाव की प्रयोगशाला भी बनाएगी।
अखिलेश यादव द्वारा यह सीट खाली करने के बाद सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा ने अपने पिछले चुनाव के ही प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ पर दांव खेला है। कांग्रेस चुनावी मैदान से बाहर है। उधर बसपा की ओर से पूरी ताकत लगाने से मुकाबला रोचक हो गया है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा व बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे तो यहां से बसपा का वोट भी सपा की तरफ ही शिफ्ट हुआ था। यहां मुस्लिमों के अलावा बड़ी संख्या में दलित वोटर भी हैं। परिणाम यह रहा था कि अखिलेश भाजपा प्रत्याशी से लगभग पौने तीन लाख वोटों से जीते थे। इस बार के बसपा उम्मीदवार जमाली मुबारकपुर विधानसभा सीट से 2012 व 2017 में बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं।
उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बसपा छोड़ दी थी। माना जा रहा था कि सपा से चुनाव लड़ेंगे पर वहां से टिकट नहीं मिल पाया। उन्होंने एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए। एआईएमआईएम के एकमात्र ऐसे प्रत्याशी थे जो अपनी जमानत बचा पाए थे। बाद में उन्होंने फिर से बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। जमाली पूर्व में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।
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