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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने छत्रपति शाहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किए जाने की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान व न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ ने प्रो. पाठक की याचिका पर फैसला सुनाने को 15 नवंबर की तिथि नियत की है।
प्रो. पाठक ने याचिका में इंदिरा नगर थाने में खुद व एक अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देकर इसे रद्द करने की गुजारिश की है। साथ ही गिरफ़्तारी पर रोक लगाने का भी आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि प्रो. पाठक व प्राइवेट कंपनी के मालिक अजय मिश्रा पर 29 अक्तूबर को इंदिरा नगर थाने में डेविड मारियो डेनिस ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि प्रो. पाठक के आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान उसकी कंपनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए अभियुक्तों ने 15 प्रतिशत कमीशन वसूला। उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली अभियुक्तों द्वारा जबरन की जा चुकी है। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि वादी को उक्त अभियुक्तों से जान को खतरा है।
प्रो. पाठक के करीबी कारोबारियों के खातों को खंगाला
कानपुर स्थित छत्रपति शाहूजी महराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के करीबी कारोबारी अजय मिश्र व अजय जैन के बैंक खातों को एसटीएस ने खंगाला। जांच एजेंसी को पांच बैंकों के इन दोनों के खातों की डिटेल मिल गया है। इसमें दोनों की इनवाइस और ई-वे बिल का मिलान भी कराया जा रहा है।
बैंक खातों से ही आरोपितों की कंपनियों के कारोबारी लेनदेन मिले हैं। कंपनी के खातों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। इसके लिए संबंधित बैंकों को पत्र भेजा गया है। उधर, एसटीएफ ने प्रो. पाठक के कई और करीबियों की सूची भी तैयार की है। जिनसे जल्द पूछताछ की जाएगी। इसमें एकेटीयू और आईईटी के कई कर्मचारी व अधिकारी शामिल हैं।
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