Lucknow: प्रो. विनय पाठक की याचिका पर हाईकोर्ट का आदेश सुरक्षित, आज आएगा फैसला

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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– फोटो : istock

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छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसएमयू) कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बुधवार को सुनवाई हुई। अब बृहस्पतिवार की दोपहर दो बजे इस पर फैसला सुनाया जाएगा। कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे तक बहस चली।

प्रो. विनय पाठक ने अपने खिलाफ  दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दाखिल की थी। जस्टिस राजेश सिंह चौहान एवं जस्टिस विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई नियत की गई थी। राज्य सरकार की तरफ से अपर महधिवक्ता विनोद कुमार शाही पेश हुए।

प्रो. विनय पाठक की ओर से दाखिल याचिका में उनके खिलाफ  लखनऊ के थाना इंदिरा नगर में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगाने की गुजारिश भी याचिका में की गई। बीती 29 अक्तूबर को यह एफआईआर डेविड मारियो डेनिस ने इंदिरा नगर थाने में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान प्रो. विनय पाठक व एक अन्य अभियुक्त ने उसकी कंपनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए उससे 15 प्रतिशत कमीशन वसूला था। उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की जबरिया वसूली की गई है। एफआईआर में अभियुक्तों से अपनी जान को खतरा भी बताया गया है।

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छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसएमयू) कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बुधवार को सुनवाई हुई। अब बृहस्पतिवार की दोपहर दो बजे इस पर फैसला सुनाया जाएगा। कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे तक बहस चली।

प्रो. विनय पाठक ने अपने खिलाफ  दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दाखिल की थी। जस्टिस राजेश सिंह चौहान एवं जस्टिस विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई नियत की गई थी। राज्य सरकार की तरफ से अपर महधिवक्ता विनोद कुमार शाही पेश हुए।

प्रो. विनय पाठक की ओर से दाखिल याचिका में उनके खिलाफ  लखनऊ के थाना इंदिरा नगर में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगाने की गुजारिश भी याचिका में की गई। बीती 29 अक्तूबर को यह एफआईआर डेविड मारियो डेनिस ने इंदिरा नगर थाने में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान प्रो. विनय पाठक व एक अन्य अभियुक्त ने उसकी कंपनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए उससे 15 प्रतिशत कमीशन वसूला था। उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपये की जबरिया वसूली की गई है। एफआईआर में अभियुक्तों से अपनी जान को खतरा भी बताया गया है।



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