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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : istock
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राजधानी लखनऊ उद्योग नगरी बने, यह सपना यहां के उद्यमियों की आंखों में भी पल रहा है। इसी सपने को लेकर वे इन्वेस्टर्स समिट का लक्ष्य पूरा करने के लिए जी-जान से जुटे हैं और अब तक 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव के साथ निवेश सारथी पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके हैं।
उपायुक्त उद्योग मनोज कुमार चौरसिया ने बताया कि अब तक 45 प्रस्ताव आ चुके हैं। इनमें 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश की बात कही है। ज्यादातर प्रस्ताव मैन्युफैक्चरिंग व एमएसएमई क्षेत्र से हैं। यह धनराशि अभी और बढ़ेगी, क्योंकि उद्यमियों के साथ बैठकों का दौर लगातार जारी है। चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित जरूरतों के सामान के निर्माण में उद्यमियों को लखनऊ में काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। निवेश का प्रस्ताव जमा करने वाले कुछ उद्यमियों से अमर उजाला ने भी बात की। इसमें जानने की कोशिश की कि निवेश के पीछे क्या है उनकी प्लानिंग।
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सस्ता श्रम देख 42 करोड़ लगाने को तैयार
आशियाना निवासी श्याम नारायण श्रीवास्तव और संतोष श्रीवास्तव ने 42 करोड़ रुपये का बिजनेस प्लान तैयार किया है। चिकित्सा उपकरणों के आयात निर्यात से जुड़े दोनों भाइयों ने कोविड के दौरान कोविड टेस्टिंग किट बनाई थी। अब टेस्टिंग में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के निर्माण में काम को विस्तार देना चाहते हैं। कहते हैं कि श्रम चाहिए और वो यहां मिल रहा है, जिस कारण उत्पादन में कोई दिक्कत नहीं आ रही है।
मल्टीलेवल पार्किंग सिस्टम के लिए 30 का प्रस्ताव
मल्टीलेवल पार्किंग निर्माण से जुड़े सैफुर रहमान ने 30 करोड़ रुपये का नया प्रस्ताव जमा किया है। कहते हैं कि हमारी कंपनी पहले से काम कर रही है। जहां तक उद्योगों की अपेक्षाओं की बात है तो सबसे पहले जमीन बहुत जरूरी है। फैक्टरी लगेगी तो काम शुरू होगा। जो कंपनी ठीक काम नहीं कर रही है, उससे वो जगह खाली करा लेनी चाहिए। इसके अलावा जरूरी है कि इकॉनमिकल जोन विकसित किए जाएं। यहां उद्योग लगाने के लिए तैयार उद्योगपतियों को सस्ते लोन मिलें। एक मैन्युफैक्चरर के रूप में हमारा मानना है कि इनवेस्टमेंट पर सब्सिडी में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं होनी चाहिए।
सात करोड़ से चिकन यूनिट का विस्तार होगा
चिकनकारी उद्योग से जुड़े जाहिद अली कहते हैं कि मैंने सात करोड़ का प्रस्ताव दिया है। अभी चिकन की एक यूनिट हरदोई रोड पर लगी है, जिससे मौजूदा मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसे देखते हुए यूनिट का विस्तार करने का प्रस्ताव तैयार किया है। हम बस इतना ही चाहते हैं कि जीएसटी जितनी है, अब उससे अधिक न बढ़े। यदि ऐसा हुआ तो हम लोगों की कमर टूट जाएगी।
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