Lucknow : सपा कार्यालय के बाहर लगी विश्वकर्मा समाज की होर्डिंग

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– सपा और भाजपा के कामों की हुई तुलना

अक्षत टाइम्स संवाददाता, लखनऊ, 14 सितम्बर। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों की आहट से पूर्व ही होर्डिंग्स वार शुरू हो गया है और 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा से पहले ही फर्क साफ है। होर्डिंग समाजवादी पार्टी कार्यालय के बाहर लगाकर विश्वकर्मा समाज ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। होर्डिंग में फर्क साफ है तहत सपा और भाजपा के समय में विश्वकर्मा समाज को मिलने वाली सौगात की तुलना की गई है। समाजवादी पार्टी नेता इंजीनियर संदीप विश्वकर्मा की ओर से लगाई होर्डिंग में विश्वकर्मा समाज के मुद्दों पर समाजवादी पार्टी और भाजपा की तुलना की गई है। पोस्टर पर साफ लिखा ष्फर्क साफ है।

विश्वकर्मा समाज को समाजवादी पार्टी और भाजपा से अब तक क्या मिला है, की उपलब्धियां गिनाई गई हैं। होर्डिंग के पहले कलम में समाजवादी पार्टी की सरकार की उपलब्धियां बताई गई हैं, जिसमे लिखा है कि विश्वकर्मा पूजा की सरकारी छुट्टी। विश्वकर्मा समाज से पहली बार मंत्री बनाना। समाज को राजनीतिक पहचान और सम्मान देना। इंटर पास युवाओं को आईटीआई की डिग्री उपलब्ध कराना। भदोही की नाबालिग लक्ष्मी विश्वकर्मा हत्याकांड में पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता। इन तमाम बातों के आगे हरे रंग का टिक लगाकर सपा की उपलब्धियों को गिनाया गया है। वही होर्डिंग के दूसरे हिस्से में भाजपा सरकार निशाना साधा गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सपा सरकार में मिलने वाली छुट्टी और योजनाओं को भाजपा का ने खत्म कर दिया है।

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भाजपा के द्वारा की गई कार्रवाई के आगे रद्द और जीरो लिखा है। वहीं इंजीनियर संदीप विश्वकर्मा ने कहा भाजपा सरकार केवल हिंदू के नाम पर विश्वकर्मा समाज के साथ छलावा कर रही है। योगी सरकार 8 साल से प्रदेश में है लेकिन समाज को कुछ नहीं मिला। विश्वकर्मा समाज के साथ लगातार शोषण हो रहा है। उनका कहना है कि समाजवादी सरकार में विश्वकर्मा पूजा की छुट्टी मिली थी जिसे रद्द कर दिया गया। इसके अलावा समाज के विकास के लिए पहली बार मंत्री बनाए गए और युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ा गया था, जो कि इस सरकार में सब खत्म हो गया। गौरतलब है कि प्रदेश में 2017 में सत्ता संभालने के बाद योगी सरकार ने महापुरुषों के नाम पर मिलने वाली छुट्टियों में कटौती कर दी थी। इस बारे में सरकार का मानना है कि महापुरुषों और धार्मिक त्योहारों पर मिलने वाली छुट्टियों के स्थान पर विद्यालय खोलें जाएं और बच्चों को उनके बारे में अवगत कराया जाए।

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