Lumpy Virus: लंपी संक्रमित पशु का दूध इस्तेमाल करें या नहीं, जानिए चिकित्सक की राय

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लंपी वायरस से संक्रमित पशु

लंपी वायरस से संक्रमित पशु
– फोटो : अमर उजाला

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आगरा जिले में लंपी वायरस की चपेट में 200 से अधिक पशु आ चुके हैं। बढ़ते संक्रमण और रोकथाम के लिए मंगलवार को पशु पालन विभाग ने एडवायजरी जारी की है। चिकित्सकों का कहना है कि लंपी संक्रमित पशु के दूध को अच्छी तरह उबालने के बाद ही इस्तेमाल करने, बछड़े-बछिया को दूध नहीं पिलाने व बचाव के लिए टीका लगवाने आदि सलाह दी गई है।

जिले में 2.83 लाख गोवंश है। 100 से अधिक गोवंश में वायरस की पुष्टि हो चुकी है। इतने ही संदिग्ध हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि गरम व नम मौसम में मच्छर, मक्खी व एक पशु से दूसरे पशु के संपर्क में आने पर लंपी वायरस फैलता है। यह बीमारी पशुओं से इंसानों में नहीं फैलती। उन्होंने बताया कि संदिग्ध पशु की सूचना तत्काल नजदीकी चिकित्सा केंद्र पर दें। टीकाकरण कराएं। 24 घंट के लिए कंट्रोल रूम स्थापित हैं।

ये हैं लक्षण

पशु को तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, कठोर एवं चपटी गांठ से शरीर का ढक जाना, पशुओं में चमड़ी पर घाव, श्वसन तंत्र में घाव होना, सांस लेने में कठिनाई, वजन घटना, पशु कमजोर होना, गर्भपात व दूध कम होना लंपी वायरस के मुख्य लक्षण हैं।

ये बरतें सावधानियां

  • बीमारी पशु के बारे में तत्काल पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें।
  • संक्रमित पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग एकांत स्थान पर रखें।
  • संक्रमित पशु का चारागाह, हाट आदि में आवागमन प्रतिबंधित करें।
  • मच्छरों, मक्खियों, किलनियों आदि से बचाव में कीटनाशक प्रयोग करें।
  • पशुबाड़ा, गोशाला में फिनायल, सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करें।
  • पशु मेला, पैठ एवं प्रदर्शनी में पशुओं को कतई न भेजें। 
  • मृत पशु के शव को खुले में न फेंके, वैज्ञानिक विधि से दफनाएं।
  • बीमार एवं स्वस्थ पशुओं को एक साथ चारा-पानी न कराएं। 
  • रोग प्रभावित पशु का दूध बछडे़-बछियों को न पिलाएं। 
  • पशुबाड़े को सूखा व साफ-सुथरा रखें।
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यहां करें सूचित

कंट्रोल रूम नंबर 08765957899  

विस्तार

आगरा जिले में लंपी वायरस की चपेट में 200 से अधिक पशु आ चुके हैं। बढ़ते संक्रमण और रोकथाम के लिए मंगलवार को पशु पालन विभाग ने एडवायजरी जारी की है। चिकित्सकों का कहना है कि लंपी संक्रमित पशु के दूध को अच्छी तरह उबालने के बाद ही इस्तेमाल करने, बछड़े-बछिया को दूध नहीं पिलाने व बचाव के लिए टीका लगवाने आदि सलाह दी गई है।

जिले में 2.83 लाख गोवंश है। 100 से अधिक गोवंश में वायरस की पुष्टि हो चुकी है। इतने ही संदिग्ध हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि गरम व नम मौसम में मच्छर, मक्खी व एक पशु से दूसरे पशु के संपर्क में आने पर लंपी वायरस फैलता है। यह बीमारी पशुओं से इंसानों में नहीं फैलती। उन्होंने बताया कि संदिग्ध पशु की सूचना तत्काल नजदीकी चिकित्सा केंद्र पर दें। टीकाकरण कराएं। 24 घंट के लिए कंट्रोल रूम स्थापित हैं।

ये हैं लक्षण

पशु को तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, कठोर एवं चपटी गांठ से शरीर का ढक जाना, पशुओं में चमड़ी पर घाव, श्वसन तंत्र में घाव होना, सांस लेने में कठिनाई, वजन घटना, पशु कमजोर होना, गर्भपात व दूध कम होना लंपी वायरस के मुख्य लक्षण हैं।

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