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चंद्र ग्रहण
– फोटो : self
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वैशाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा पर वर्ष का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण होने के कारण सूतक का कोई वेध नहीं होगा। 4 घंटे 18 मिनट तक चलने वाला यह ग्रहण एशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्वी यूरोप के कुछ भागों में दिखाई देगा। ग्रहण का प्रभाव भारत में ना होने की वजह से सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा।
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि स्नान, दान और जप दृश्य ग्रहण में ही मान्य होता है। जो दृश्य ग्रहण नहीं होता उसमें सूतक नहीं लगेगा। स्पर्श, मध्य और मोक्ष जिस ग्रहण में नहीं है तो उसको ग्रहण भी नहीं कह सकते हैं। जो चंद्रग्रहण आंखों से स्पष्ट दिखाई ना दे उस चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होता है। मात्र उपच्छाया वाले चंद्रग्रहण आंखों से नजर नहीं आते हैं इसलिए ग्रहण से संबंधित कोई कर्मकांड नहीं किया जाता है।
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