Magh Mela Prayagraj : ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के भूमि आवंटन पर विवाद, नहीं हो सकी नापी

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माघ मेले की तैयारी जोरों से चल रही है।

माघ मेले की तैयारी जोरों से चल रही है।
– फोटो : अमर उजाला।

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ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के भूमि आवंटन पर शुक्रवार को विवाद खड़ा हो गया। त्रिवेणी मार्ग पर सेक्टर तीन में नापी करने गई मेला प्रशासन की राजस्व टीम ने ज्योतिष्पीठ की 40 हजार वर्गफीट भूमि आरक्षित रख ली। इसे लेकर अनुयायी भड़क उठे। ज्योतिष्पीठाधीश्वर के प्रतिनिधि ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने द्वारका-शारदा पीठ की भी भूमि लेने से इन्कार कर दिया। शंकराचार्यों के भूमि आवंटन के विवाद पर शनिवार को निर्णय होने की उम्मीद है।

त्रिवेणी मार्ग पर शंकराचार्यों के लिए भूमि आवंटन दोपहर दो बजे से होना था। मेला प्रबंधक रविकांत द्विवेदी, सेक्टर मजिस्ट्रेट प्रेमनाथ समेत कानूनगो, लेखपाल तीन बजे पहुंचे। इस दौरान वहां ज्योतिष्पीठ और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्यों के प्रतिनिधि के तौर पर मनकामेश्वर मंदिर के व्यवस्थापक श्रीधरानंद अपने शिष्यों के साथ मौजूद थे। मेला प्रशासन की ओर से द्वारका-शारदा पीठ के लिए तो 40 हजार वर्ग फीट भूमि आवंटित करने के लिए नापी कराई जाने लगी, लेकिन ज्योतिष्पीठ की भूमि आरक्षित करने की बात कही गई। 

मेला प्रबंधक की ओर से ज्योतिष्पीठ की 40 हजार वर्ग फीट भूमि आरक्षित रखने की बात पर ज्योतिष्पीठ के प्रतिनिधियों ने नाराजगी जताई। उनका कहना था कि ज्योतिष्पीठ की भूमि पर किसी तरह का सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी नहीं किया गया है। ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी स्वरूपानंद को मेले में 2017 से ही भूमि -सुविधाएं मिलती रही हैं।

उसी क्रम में इस बार भी ज्योतिष्पीठ की भूमि उन्हें दी जानी चाहिए। इस पर मेला प्रशासन कोई निर्णय नहीं ले सका। विवाद शाम पांच बजे तक चलता रहा। अंतत: शंकराचार्य के प्रतिनिधि श्रीधरानंद ने द्वारका-शारदा पीठ की भी भूमि की नापी नहीं कराई। उनका कहना था कि अगर ज्योतिष्पीठ की भूमि का आवंटन नहीं किया गया तो इस बार माघ मेले में शंकराचार्य का शिविर नहीं लगेगा।

माघ मेला में ज्योतिष्पीठाधीश्वर की भूमि पर आज हो सकता है निर्णय
मेला प्रशासन इस बार ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में किसे मान्यता देता है, यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल में जारी हुए आदेश पर निर्भर करेगा। मेला प्रशासन से जुड़े अफसरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में भूमि किसे दी जाए, इस पर अभी निर्णय नहीं लिया जा सका है। शनिवार को दोबारा मेला प्रशासन ज्योतिष्पीठ की भूमि के आवंटन को लेकर विचार करेगा।

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ज्योतिष्पीठ की भूमि को लेकर कोई विवाद न था न है। मेला प्रशासन के कुछ अधिकारी जानबूझ पर ऐसा कर रहे हैं। त्रिवेणी मार्ग पर भूमि आवंटन शुक्रवार से होना था, लेकिन इससे हफ्ते भर पहले ही पहले ही वासुदेवानंद को वहां भूमि-सुविधाएं कैसे आवंटित कर दी गईं। इस पूरे प्रकरण में मेला प्रशासन के कतिपय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।  अगर ज्योतिष्पीठ की भूमि पूर्व की भांति आवंटित नहीं की जाएगी तो इस बार माघ मेले में ज्योतिष्पीठ और द्वारका-शारदा पीठ के शिविर नहीं लगेंगे। – ब्रहमचारी श्रीधरानंद, मनकामेश्वर मंदिर सरस्वती घाट।

सुप्रीम कोर्ट ने ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी है। ऐसे में ज्योतिष्पीठ की भूमि उन्हें आवंटित नहीं की जानी चाहिए। इस मसले पर मेला प्रशासन को निष्पक्ष निर्णय लेना चाहिए। – ओंकार नाथ त्रिपाठी, प्रवक्ता- स्वामी वासुदेवानंद।

ज्योतिष्पीठ की भूमि के आवंटन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराया जाएगा। इसके लिए शनिवार को विधिक राय के साथ प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। चूंकि इस समय ज्योतिष्पीठाधीश्वर पद पर कोई नहीं है तो ऐसे में विधिक राय के आधार पर ही कोई निर्णय लिया जाएगा। – अरविंद चौहान, मेलाधिकारी।

विस्तार

ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के भूमि आवंटन पर शुक्रवार को विवाद खड़ा हो गया। त्रिवेणी मार्ग पर सेक्टर तीन में नापी करने गई मेला प्रशासन की राजस्व टीम ने ज्योतिष्पीठ की 40 हजार वर्गफीट भूमि आरक्षित रख ली। इसे लेकर अनुयायी भड़क उठे। ज्योतिष्पीठाधीश्वर के प्रतिनिधि ब्रह्मचारी श्रीधरानंद ने द्वारका-शारदा पीठ की भी भूमि लेने से इन्कार कर दिया। शंकराचार्यों के भूमि आवंटन के विवाद पर शनिवार को निर्णय होने की उम्मीद है।

त्रिवेणी मार्ग पर शंकराचार्यों के लिए भूमि आवंटन दोपहर दो बजे से होना था। मेला प्रबंधक रविकांत द्विवेदी, सेक्टर मजिस्ट्रेट प्रेमनाथ समेत कानूनगो, लेखपाल तीन बजे पहुंचे। इस दौरान वहां ज्योतिष्पीठ और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्यों के प्रतिनिधि के तौर पर मनकामेश्वर मंदिर के व्यवस्थापक श्रीधरानंद अपने शिष्यों के साथ मौजूद थे। मेला प्रशासन की ओर से द्वारका-शारदा पीठ के लिए तो 40 हजार वर्ग फीट भूमि आवंटित करने के लिए नापी कराई जाने लगी, लेकिन ज्योतिष्पीठ की भूमि आरक्षित करने की बात कही गई। 



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